जमुई शहर में निजी क्लीनिक के संचालकों और चिकित्सकों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला बुधवार को सदर अस्पताल में उस वक्त देखने को मिला जब एक गंभीर महिला मरीज को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया था। जिसके पेट में टांका तक नहीं लगाया गया था।
सिकंदरा प्रखंड क्षेत्र के महादेव सिमरिया निवासी मो. इब्रान हसन की 28 वर्षीय बहन उम्मत खातून जो कि पहले से कैंसर रोग से ग्रसित थी। जिसका इलाज कटक से चल रहा था। 26 दिसंबर को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उसे इलाज के लिए शहर के खैरा मोड़ स्थित डॉ. सद्दाफ नेहाल के निजी क्लीनिक में भर्ती कराया गया था। यहां चिकित्सक ने जल्द ऑपरेशन करने की बात कही।
मरीज को मुंगेर ले जाया गया
पीड़ित परिवार को शहर के झाझा बस स्टैंड स्थित जमुई इमरजेंसी अस्पताल में करने की बात कही। जिसको लेकर डॉक्टर और परिजन झाझा स्टैंड पहुंचे। जहां पहले से मौजूद इमरजेंसी के चिकित्सक डॉ. हर्षवर्धन मरीज के परिजनों को कहा कि जल्द ऑपरेशन करना है। उसके लिए मरीज को मुंगेर ले जाना पड़ेगा। वही निजी क्लीनिक के चिकित्सक व कर्मी उसे निजी एंबुलेंस से मुंगेर इमरजेंसी हॉस्पिटल लेकर गए।
ऑपरेशन की शुरुआत की गई
यहां ऑपरेशन करने से पहले पीड़ित परिवार को 5 लाख 50 हजार रूपय जमा करने कही। पीड़ित परिवार ने तुरंत कांउटर पर डेढ़ लाख रूपय जमा किया ऑपरेशन के अन्य सामानों में कुल 5 लाख 50 हजार रूपय जमा करा दिया। उसके बाद ऑपरेशन की शुरुआत की गई। वही कुछ मिनट बाद निजी क्लीनिक के संचालक व चिकित्सकों ने पीड़ित परिवार को 5 लाख रूपय और जमा करने काे कहा जब पीड़ित परिवार ने समय मांगा तो सभी चिकित्सक व कर्मी आक्रोशित हो गए।
थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई
मरीज के परिजनों के साथ गाली गलौज पर उतारू हो गए। मरीज को ऑपरेशन थिएटर में पेट खुला होने के बावजूद उसे निकालकर सड़क पर रख उसे घर ले जाने को कहा। जिसके बाद पीड़ित परिवार मरीज को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। जहां वहां मौजूद चिकित्सक डॉ. रविंद्र कुमार द्वारा इलाज किया जा रहा है। वही पीड़ित ने चिकित्सक एवं कर्मी के खिलाफ थाने में आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज कराई है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.