रसोई गैस की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से उज्जवला योजना के लाभुक एक बार फिर से परंपरागत लकड़ी और गोबर के ईंधन वाले चूल्हों पर खाना बनाने लगे हैं। उज्ज्वला योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं का मिले सिलेंडर घरों में खाली रखे हैं और अब वे चूल्हा जला रही हैं। मां भवानी गैस एजेंसी से अब तक करीब 9 सौ महिलाएं गैस नही ले रही हैं। दरअसल, उज्ज्वला योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बड़ी संख्या में महिलाओं को घरेलू रसोई गैस का कनेक्शन दिया गया था। पहले तो यह सिलेंडर मुफ्त मिला तो महिलाओं को खुशी थी लेकिन यह सुविधा भी अब अधिकांश लोगों के काम नहीं आ रही। रसोई गैस की कीमत बढ़ने से अधिकांश परिवार सिलेंडर नहीं भरवा पा रहे हैं। ऐसे में उनके घरों की महिलाओं को गोबर के उपले और लकड़ी के सहारे ही भोजन पकाने को मजबूर है। खुरंडा पंचायत के सबिता देवी, मुन्नी देवी, काजल देवी, कनौदी पंचायत के सुगिया देवी, शबनम बीबी, सकुन्तला देवी, कमली देवी व टेलवा पंचायत के रीना देवी, कारी देवी , आशा देवी, रुम्पा देवी ने बताया कि महंगाई की वजह से घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। इतनी महंगाई में गैस सिलेंडर भरवाने के लिए पैसे नहीं बच रहे हैं। गैस सिलेंडर न भरवा पाने के कारण लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बनाना पड़ता है। पहले सब्सिडी मिलती थी अब सब्सिडी पूरी तरह खत्म हो गई, ऊपर से मंहगाई की मार से घरों में चूल्हे का प्रचलन फिर से वापस लौट आया है।
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