सूखे की स्थिति को देखते हुए दूसरे प्रदेशों में रोपनी करने के लिए परिवार पलायन कर रहे है। मजे की बात है कि इन मजदूरों में 12 से 14 साल के बच्चे व बच्चियां भी शामिल रहती है। इन मजदूरों को एकत्र करने का जिम्मा बिचौलिये ले रहे है और इसके एवज में उन्हे कमिशन मिल रहा है। ग्रामिण क्षेत्रों में स्थिति यह है कि हर रोज दर्जनो की तदाद में मजदूर पंजाब, हरियाणा, गुजरात के लिए पलायन कर रहे है। क्षेत्र के सोवां, अरियांव, नचाप, मनपा,धगौली, लाखन डिहरा, धरौली, अरक, कठार आदि अन्य गाँवों से अब तक दर्जनो मजदूर कमाने के लिए घर छोड़ चुके है। कई तो ऐसे भी बच्चे है कि परिवार की आर्थिक तंगी के कारण उन्हे बीच में ही पढाई छोडकर अपने परिवार के सदस्यों के साथ मजदूरी के लिए जाना पड़ रहा है।
कई तो अपनी पत्नीयो को भी अपने साथ लेते गये है। बहरहाल मजदूरों के जुगाड़ के लिए कई लोग कमिशन पर काम कर रहे है। दुसरे प्रदेशों के जरूरत मंद ऐसे ही लोगों से संपर्क करते है और उन्हे कमिशन देकर मजदूरों को एकत्र करवाते है। इसके बाद उन्हे वे लेकर अपने प्रदेश लौट जाते है। हालांकि यह भी शिकायत मिलती है कि क्षेत्र में मजदूरों के बाबत जो वायदा किया जाता है। उसे पुरा नहींं किया जाता है। जोरदार वर्षा नहींं होने से किसान काफी चिन्तित है।धान की नर्सरी निजी पम्प सेट से डाली जा रही है। देवानंद सिंह, मार्कंडेय यादव, सच्चिदानंद सिंह, अजय सिंह आदि अन्य किसानों का कहना है कि हालत अच्छी नहींं दिख रहा है। सूखे की स्थिति है रोहिणी नक्षत्र में वर्षा होने से खाली पडे खेतों की जुताई हो जाती है।
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