शुक्रवार को फाउंडेशन स्कूल के पुस्तकालय कक्ष में प्रसिद्ध लेखक, कवि निलय उपाध्याय ने छात्रों के साथ लेखन कार्यशाला का आरंभ किया। बता दें कि निलय उपाध्याय को लोग लोकप्रिय धारावाहिक देवों के देव महादेव के स्क्रिप्ट राइटर के रुप में पहचानते हैं। इनकी 50 से ज्यादा कृतियां, उपन्यास,कविता संग्रह प्रकाशित हो चुकी है। गंगा के उपर 10 खंड में पुस्तक लिख चुके, निलय जी गंगायात्री और पर्यावरणविद के रुप में अपने देश में जाने जाते हैं। विद्यालय प्रधानाध्यापक विकास ओझा ने बताया कि छात्रों के चेतना का विस्तार देने, संवेदनशीलता एवं साहित्य के क्षेत्र में उनकी समझ और ज्ञान हेतु यह कार्यशाला आयोजित किया गया है। छात्रों के लिए यह अपनी तरह का एक नया और अनोखा मौका है जहां वो निलय जी जैसे प्रबुद्ध जन के मार्गदर्शन में कविता ,कहानी , उपन्यास इत्यादि रचनाओं से संबंधित बारीकियों को सीख रहे हैं। साहित्य से जुड़ने का मतलब जिम्मेदार होना है : यह कार्यशाला छात्रों को सोचने और महसूस करने का एक नया तरीका दिया है , साथ ही उन्होंने समझा कि साहित्य से जुड़ने का मतलब जिम्मेदार होना है। एक लेखक के ऊपर जिम्मेदारी होती है तो समाज में व्याप्त गड़बड़ियों को दूर करने हेतु हमेशा आवाज उठाता है। इस कार्यशाला में स्क्वाड बीआर 44 के सदस्य भी शामिल रहे।
एक लेखक स्वयं के नजरिया से लिखता है
छात्र छात्राओं ने जाना कि किसी पात्र को लिखते समय उस पात्र की व्यापक सूचना ईकट्ठा करना होता है ।लेखन आत्मा के प्रकाश में चीजों को देखने का तरीका है। एक लेखक स्वयं के नजरिया से लिखता है। लेखन के नियमों में छात्रों ने जाना कि लेखन का पहला नियम यह है कि लेखक दूसरे की पीड़ा को अपने अंदर महसूस कर पाए। छात्रों ने प्रथम दिन के कार्यशाला में कविता कहानी उपन्यास के बीच के अंतर को समझा जैसे कि कविता क्षण है। जिस समय रस बदलता है वहां कविता है। अगर वह क्षण गति पकड़ लिया तो वह कहानी है। एक लेखक के लिए सर्वप्रथम महत्वपूर्ण “समय” होता है। दूसरी महत्वपूर्ण चीज भाषा तत्पश्चात यथार्थ। भाषा हमारी जीवन शैली है जिसमें हम घटित होते हैं ,भाषा के रूपक होते हैं। कार्यशाला में छात्रों ने समझा कि यथार्थ नहींं बदलता भाषा बदलती है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.