बढ़ती गर्मी के साथ ही जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में लातूर जैसे हालात बनने लगे हैं। यहां एक ओर भू-जलस्तर तेजी से नीचे खिसकते जा रहा है, वहीं प्राकृतिक जलस्त्रोत भी सूख चले हैं। कुछ बचे भी हैं तो वहां का गंदा पानी पशु व मनुष्य के अंतर को पाट दे रहे हैं। इसी गंदे पानी पर वनवासियों की ¨जदगी ठहरी हुई है। कैमूर पहाड़ी व उसके तलहटी में बसे दर्जनों गांवों में पानी के लिए हाहाकार मच गया है। जिससे वहां के अधिकांश वाशिदों ने अपने मवेशियों के साथ घर-बार छोड़कर मैदानी इलाकों का रुख कर लिया है।
हालांकि प्रशासन ने पहाड़ी पर बसे लोगों को पानी मुहैया कराने के लिए टैंकर से पानी पहुंचाने का फैसला लिया है। दरअसल कैमूर डीएम नवदीप शुक्ला ने रविवार को उप विकास आयुक्त समेत जिले के पीएचडी विभाग के अधिकारियों के साथ चैनपुर प्रखंड के घुमरदेव मसानी और डूमरकोन गांव में जाकर पेयजल समस्या की जमीनी हकीकत से रूबरू हुए। गौरतलब है कि गर्मी की तपिश के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में पेयजल की संकट उत्पन्न होना कोई नई बात नहीं है।
जिले के अधौरा, चैनपुर, भगवानपुर, रामपुर और चांद प्रखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पेयजल की समस्या खड़ी होने के कारण पानी का आपूर्ति टैंकर से कराने की बात डीएम ने कहा है। दरअसल, डीएम कैमूर एवं उप विकास आयुक्त कैमूर द्वारा चैनपुर प्रखंड अंतर्गत पहाड़ी क्षेत्रों यथा धुमरदेव, मसानी ,डूमरकोन का दौरा किए। भ्रमण के दौरान उन क्षेत्रों में पानी से जुड़ी समस्याओं से संबंधित समीक्षा भी की। समीक्षा के दौरान पीएचईडी विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि पहाड़ी क्षेत्रों के खराब सभी चापाकल की तत्काल मरम्मती कराना सुनिश्चित करें। जहां चापाकल मरम्मती लायक नहीं है ,वहां यथाशीघ्र नया चापाकल लगाए।
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