बिहार के डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के गृह जिले और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के सरकारी अस्पताल का भ्रष्ट सिस्टम सामने आया है। दरअसल पूरा माजरा वैश्विक महामारी कोविड - 19 से जुड़ा है । जून 2021 में एक शिक्षक की कोविड संक्रमण की चपेट में आने के कारण से सांसो की डोर टूट गई । पीड़ित परिजनों ने रोते बिलखते शव का संस्कार भी कर दिया। लेकिन लेकिन बेरहम सरकारी बाबुओं की वजह से पीड़ित परिजनों पर धूमिल पड़ रहे मृतक की याद को फिर से जगा दिया ।
साल भर बाद पीड़ित परिजनों को सरकारी दफ्तर से कोविड-19 का मुआवजा लेने का फोन आया । पीड़ित परिजन जैसे ही दफ्तर पहुंचे कि शुरू हो गया नजराने का खेल..पीड़ित परिजनों को कोविड-19 लाभ लेने के लिए कागजातों की मांग की गई जब सारे कागजात उपलब्ध करा दिए गए। पीड़ित परिजनों की मानें तो सरकारी बाबू कहते हैं कि जब तक आरटी पीसीआर रिपोर्ट नहीं आएगी तब तक आप को मुआवजा नहीं मिल सकता है । जबकि उसी सरकारी अस्पताल से मृतक की मौत की वजह कोविड-19 बताई गई है ।
मृतक की पुत्री एवं पत्नी से इस बाबत जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने सरकारी मुआवजा राशि पाने के लिए सरकारी कर्मचारी द्वारा पैसे मांगने की बात कही । शिवानी मिश्रा बताती हैं की उसके पिताजी कटिहार में पिछले 35 सालों से रहते आ रहे हैं और लंबे अरसे से रामकृष्ण मिशन स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे हैं । पीड़ित परिजनों ने शव का दाह संस्कार कर अपने पुश्तैनी गांव सुल्तानगंज चले गए । लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग को कोविड-19 चपेट में आए हुए लोगों को मुआवजा देने की याद आई ।
जिला प्रशासन ने मृतक के परिजनों को फोन लगाया और बुलाकर मुआवजा देने की घोषणा की है। पिछले 6 महीने से परिजन सुल्तानगंज से कटिहार हर सप्ताह आते हैं और सरकारी मुलाजिम के दरवाजे खटखटाते है। सुबह से शाम तक सरकारी दफ्तरों का चक्कर काटकर पुनः वापस बस पकड़ कर अपने गांव को लौट जाते है।
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