चौथम प्रखंड सहित सीमावर्ती अन्य प्रखंड के लाखों आबादी के स्वास्थ्य सुविधा केंद्र चौथम सीएचसी जांच, जीवन रक्षक दवा सहित इलाज के अभाव में रोगियों के रेफर का केन्द्र बन कर रह गया है। यहां तक कि सीएचसी में पदस्थापित डाॅक्टरों को रोगी के फीवर जांच के लिए थर्मामीटर तक उपलब्ध नहीं है। बीपी एवं अन्य जांच सुविधा ताे दूर की बात है। इमरजेंसी में दुर्घटनाग्रस्त रोगियों के ब्लड रोकने की या पेन किलर या अन्य जीवन रक्षक दवा तक उपलब्ध नहीं है। इमरजेन्सी परिस्थिति में इलाज कराने आये रोगियों को जीवन मौत से जूझना पड़ जाता है। ऐसी विकट परिस्थिति में डाॅक्टर रोगियों के जख्मी अंग को मलहम-पट्टी कर खगड़िया सदर अस्पताल रेफर कर देते हैं। इतना हीं नहीं सीएचसी में मारपीट घटना में इलाज कराने आये मामूली रूप से जख्मी रोगियों को भी ड्रेसिंग के उपरांत रेफर कर दिया जाता है। हालात ऐसी बन गई है कि सड़क दुर्घटना में घायल रोगियों को इलाज के लिए सी एच सी लाने से परहेज करने लगे हैं। मिली जानकारी अनुसार सीएचसी में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा आपूर्ति की जाने वाली दवाओं का उपयोग डाॅक्टर एवं एएनएम के निजी प्रैक्टिस में किया जा रहा है। वहीं इलाज कराने आये रोगियों का इलाज सीएचसी में नहीं कर अपने निजी क्लिनिक में इलाज के लिए ले जाते हैं। इन सभी कारणों से भी स्वास्थ्य सेवा के लिए सीएचसी की साख गिरती जा रहा है। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ अमरनाथ झा ने बताया कि व्यवस्था में सुधार के लिए प्रयास किया जा रहा है।
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