थैलेसीमिया दिवस आज रविवार को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर मनाया जाएगा। प्रति वर्ष आठ मई को यह मनाया जाता है। पीड़ित लोगों को सामान्य जीवन जीने का अवसर प्रदान करना इसका उद्देश्य है। स्वास्थ्य केंद्रों के साथ साथ सार्वजनिक जगहों पर भी लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाएगा। सिविल सर्जन डॉक्टर कौशल किशोर ने बताया कि थैलेसिमिया का इलाज बीमारी के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। थैलेसीमिया के लक्षण वाले रोगियों को यह जानना जरूरी होता है कि यदि वे थैलेसीमिया के लक्षण वाले किसी व्यक्ति से शादी करते हैं तो उनसे होने वाले बच्चे को इस बीमारी के होने की आशंका रहती है। पिछले कुछ समय में थैलेसीमिया के इलाज में काफी सुधार हुआ है। मध्यम और गंभीर थैलेसीमिया से पीड़ित लोग भी अब लंबी जिंदगी जी रहे हैं। क्रोनिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन थैरेपी, आयरन कीलेशन थैरेपी की मदद से थैलेसीमिया का इलाज हो रहा है। थकान, कमजोरी, पीली त्वचा, पेट की सूजन, चेहरे की हड्डी की विकृति धीमी, गहरे रंग का पेशाब आदि थैलेसीमिया के लक्षण हैं। ये लक्षण जन्म लेने के दो वर्षों के दौरान विकसित होते हैं।
जेनेटिक है यह रोग: सिविल सर्जन ने कहा कि यह एक प्रकार का आनुवांशिक रोग है, जो माता-पिता से बच्चों में जाता है। थैलेसीमिया रक्त संबंधी रोग है, जो बच्चों में होता है। इसलिए उन्हें बार-बार ब्लड बैंक ले जाना होता है। इस बीमारी में बहुत ज्यादा खून की कमी होने लगती है। इस बीमारी से शरीर में हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण की क्षमता प्रभावित होती है।
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