दुनिया में मां की त्याग और समर्पण की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। मां अपने बच्चे के लिए हरेक मु़सीबतों से लड़ जाती है । अपने भुखे पेट रहती लेकिन बच्चाें को िखलाती है। मां का विश्वास और प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि वे अपने बच्चे की खुशी की खातिर सारी दुनिया से लड़ जाती है। वो एक अकेली बहुत होती है। लखीसराय शहर के पुरानी बाजार नया टोला की रहने वाली ऐसी ही एक मां नीलम देवी हैं। नीलम देवी ने कठिनाइयां से कभी हार नहीं मानी और अपने बेटे को आईपीएस बनाने में सफल रही। नया टोला के रहने वाले आईपीएस अधिकारी एवं वर्तमान में बिहार के राज्यपाल के एडीसी पंकज कुमार राज की मां नीलम देवी के पति विपिन कुमार की मौत 2 मई 2000 को हो गई थी। उस समय पंकज कुमार राज केएसएस कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष के छात्र थे। पति की मौत होने के बाद ही नीलम देवी ने हार नहीं मानी और अपने दूसरे पुत्र को आईपीएस बनाने में सफल रही। नीलम देवी को तीन पुत्र है। बड़ा पुत्र टेलीफोन विभाग में, दूसरा पुत्र पंकज कुमार राज आईपीएस और तीसरा पुत्र शिक्षक हैं। पंकज कुमार राज 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।
पति की मौत के बाद भी पुत्र को बनाया दारोगा
जिले के पीरी बाजार क्षेत्र के अभयपुर कसबा की उर्वशी देवी ने तमाम परेशानियों को झेलने के बाद भी हार नहीं मानी और तमाम परेशानियों को झेलते हुए अपने पुत्र को दारोगा बनाने में सफल रही। उनके पति परिवार की परवरिश के लिए दूसरे प्रदेश में जाकर मेहनत मजदूरी तक करते थे। अचानक उनके पति की असामयिक मौत हो गई। पति के निधन के बाद इनके सामने तीन छोटे-छोटे मासूम बच्चों की परवरिश की चुनौती थी। यहां से उसके जीवन की संघर्ष की कहानी शुरू हुई लेकिन उससे हार नहीं मानी। पति की मौत के बाद गांव में ही छोटे से घर में रहकर बच्चों की परवरिश करने लगी। पुत्री का विवाह की जिम्मेवारी निभाने के बाद बेटे का भविष्य सामने खड़ा था। बेटे को किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाने में भी सक्षम नहीं थी। लिहाजा गांव के सरकारी स्कूल में उसकी पढ़ाई हुई। बेटे को शिक्षा के प्रति जागरूक करते हुए लक्ष्य के प्रति हमेशा प्रेरणा देती रहीं। आखिरकार मां की सही परवरिश एवं प्रेरणा से बेटे ने दारोगा की परीक्षा उत्तीर्ण कर फिलहाल पटना में प्रशिक्षण ले रहा है। उर्वशी देवी ने अपनी मेहनत से परिवार को संवारा।
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