मिथिला ज्ञान, विज्ञान, दर्शन एवं चिंतन की भूमि है। मां मिथिला ने अपने गर्भ से कई मनीषियों को जन्म दिया है। यह त्याग,तप और आध्यात्म की भूमि है। इस प्रांजल भूमि पर जहां एकतरफ बाबा विद्यापति जैसे मूर्धन्य साहित्यकार का अवतरण हुआ तो वहीं दूसरी तरफ त्याग के प्रतिरूप अयाची मिश्र का भी अवतरण मिथिला के प्रांजल धरा पर हुआ है। मिथिला और मैथिल सदैव भारत और विश्व का नेतृत्व करते रहे हैं। मैथिल समाज की एक मौलिक एवं सांस्कारिक चरित्र है यहां लोग “सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः” और “मानव सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है” के सिद्धांत के परिचायक होते हैं। ऐसी ही मां मिथिला की एक बेटी है निधि जो “सेवानिधि संस्था” के सहयोग से बीते 365 दिनों से प्रतिदिन गरीब, असहाय एवं जरूरतमंद लोगों के बीच निःशुल्क भोजन वितरण कर रही है। साथ ही इस फाउंडेशन के तरफ से नि:शुल्क पाठशाला खोला गया हैं जिनमें आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। इतना ही नहीं सेवानिधि फाउंडेशन और निजी सहयोग से अब तक 02 गरीब कन्याओं की विवाह करा चुकी है। वहीं, पूरे निष्ठापूर्वक निस्वार्थ भाव से मानव सेवा एवं समाजसेवा के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।
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