एलएनडी कॉलेज सभागार में शनिवार को राष्ट्रीय सेवा योजना के सौजन्य से आतंकवाद विरोधी दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य प्रो.(डॉ.) अरुण कुमार ने अपने अध्यक्षीय भाषण में आतंकवाद को इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा कि महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे अपने देश के महान विभूतियों को आतंकवाद ने अपना निशाना बनाया। उन्होंने युवाओं को इससे बचने का आह्वान किया। एनएसएस पीओ प्रो.अरविंद कुमार ने कार्यक्रम का विषय प्रवेश कराते हुए आतंकवाद विरोधी दिवस की महत्ता और उसके परिप्रेक्ष्य को विस्तार से रेखांकित किया। उन्होंने सभी स्वयंसेवकों को आतंकवाद के खिलाफ सजग होने हेतु शपथ भी दिलाया। विदित हो कि 21 मई 1991 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आतंकवादियों द्वारा हत्या के बाद आतंकवादी विरोधी दिवस मनाए जाने की शुरुआत हुई। भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ. पिनाकी लाहा ने आतंकवाद में इस्तेमाल किए जाने वाले नई तकनीकों का उल्लेख करते हुए बताया कि तकनीकों द्वारा आतंकवाद पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ.जौवाद हुसैन ने कहा कि आतंकवाद प्रकृति के खिलाफ है तथा अमन व चैन का विरोधी है। भौतिकी के सहायक प्राध्यापक डॉ.सर्वेश दुबे ने अपने संबोधन में वैचारिक आतंकवाद को आतंकवाद का सर्वाधिक खतरनाक रूप बताया क्योंकि कट्टरवादी विचारधारा से ही आतंकवाद जन्म लेकर हिंसक रूप ग्रहण कर लेता है। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.राधे श्याम ने कहा कि धरती पर से आतंकवाद को समाप्त करने का एकमात्र मार्ग प्रेम है। इस संसार में विनाशकारी परमाणु बम पहले से ही तैयार है जिन्हें आतंकियों की पहुंच से दूर रखे जाने की आवश्यकता है। इस दिशा में भारत का मूलमंत्र सर्वे भवंतु सुखिनः पुरे विश्व को अपना लेना चाहिए। इस अवसर पर एनएसएस स्वयंसेवकों की ओर से राकेश कुमार शर्मा व सुरेश कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। प्राचार्य द्वारा बिहार ऐड्स कंट्रोल सोसायटी की ओर से निर्गत प्रशस्ति-पत्र स्वयंसेवकों धुनमुन सिंह, फैसल रहमान, संदीप कुमार कुशवाहा और मोनू खान को वितरित किया गया।
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