सीताकुंड मे स्नान करने के लिए पहुंच रहे है श्रद्धालु:हमेसा पानी रहता है गर्म, पौराणिक कथाओं के अनुसार यहीं पर सीता ने दी थी अग्निपरीक्षा

मुंगेर4 महीने पहले
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मुंगेर मे माघी पूर्णिमा के अवसर पर मुंगेर जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर सीता कुंड के गर्म पानी में स्नान करने को लेकर सुबह से ही श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगी हुई है। जो कि यह आज रविवार की देर शाम तक स्नान करने का दौर लगातार जारी रहेगा। सीता कुंड मेला का आनंद लेने के साथ-साथ कुंड में स्नान करने को लेकर इस बार श्रद्धालु बेगूसराय खगड़िया भागलपुर जमुई सहित बिहार के अन्य जिले से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस बार ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि पहले दिन कम से कम 50 हजार से अधिक श्रद्धालु सीताकुंड मेले में पहुंचेंगे। इधर मेले में अत्यधिक भीड़ को लेकर पुलिस प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीण स्वयंसेवक के रूप में रहकर मेले का निगरानी कर रहे हैं।

सीताकुंड मेले को लेकर मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए आकर्षक झूला के साथ-साथ स्वादिष्ट व्यंजनों का भी दुकान लगाया गया है। इसके अलावा श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मेले में जगह-जगह पर सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है। जबकि सीता कुंड में स्नान करने के लिए अत्यधिक भीड़ रहने के कारण लगभग 5 किलोमीटर तक श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है। वह मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के द्वारा कार्ड से बना विभिन्न तरह के घरेलू सामान खरीदा गया इसके अलावा प्रसाद की खरीदारी करने को लेकर भी दुकानों पर काफी भीड़ देखी गई। बता दें कि बिहार के मुंगेर में प्राचीन नाम मुद्गलपुरी और रामायण काल से जुड़ी कई स्थल आज भी मौजूद है। इसी में से एक है सीताकुंड जहां माता सीता ने अग्नि परीक्षा दिया था आज उसी जगह गर्म जल की धारा का कुंड बना हुआ है।

पौराणिक मान्यता से जुड़े होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और सीताकुंड के गर्म जल में स्नान कर यहां के मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। यहां माघी पूर्णिमा के दिन से एक माह तक चलने वाला मेला का आयोजन होता है। मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलो मीटर दूर सदर प्रखंड में अवस्थित सीताकुंड मंदिर की जन श्रुति त्रेतायुग की कथा जुड़ी है। धार्मिक मान्यता है कि मां सीता ने इसी जगह अग्नि परीक्षा दी थी। मान्यता के अनुसार जब राम - रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे तब उन्हें ब्राह्मण हत्या का पापा लगा था। भगवान राम को कुंबोधर ऋषि ने सलाह दी थी कि रावण के वध से आप को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा है। सारे तीर्थ स्थलों का भ्रमण करने से ही इस पाप से मुक्ति मिल सकती है।

जिसके बाद राम -सीता के साथ अपने अन्य तीन भाई लक्षण, भरत और शत्रुघ्न के साथ मुंगेर पहुंचकर मुद्गल ऋषि के आश्रम में रुके थे। वही मुद्गल आश्रम वर्तमान में सीताचरण मंदिर एवं कष्टहरणी घाट के रूप में प्रसिद्ध है। यहां माता सीता ने छठ व्रत किया था। मान्यता के अनुसार पुजारी नागेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि मुद्गल आश्रम में ऋषियों ने सभी के हाथों प्रसाद ग्रहण किया, लेकिन रावण द्वारा हरण किए जाने के कारण सीता के हाथ से प्रसाद ग्रहण नहीं किया। वहीं ऋषियों के द्वारा कहे जाने के बाद माता सीता ने इसी जगह पर अग्नि कुंड बनाकर अग्नि परीक्षा देकर अपनी पवित्रता सिद्ध की थी। उसी कुंड में अपने पसीने का तीन बूंद छिड़ककर उस अग्नि कुंड को गर्म जलधारा के कुंड में परिवर्तित कर दिया था। जिसमें आज भी पवित्र गर्म जल प्रवाहित हो रहा है।

सीताकुंड के गर्म पानी में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़
सीताकुंड के गर्म पानी में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़

इसके अलावा यहां अन्य चार कुंड भी बने है जिसे भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न ने अपने बाणों से बनाया था। आश्चर्य तो यह है की सीताकुंड के आसपास नदी और गंगा होने के बावजूद इन कुंडों का जल बिल्कुल गर्म रहता है। मुंगेर गजेटियर में भी सीता कुंड की चर्चा सीता के अग्नि परीक्षा स्थल के रूप में की गई है। सीताकुंड में एक माह तक चलने वाला माघी मेला का आयोजन होता है। मेले में मुस्लिम समुदाय के लोग भी इस मेले को सफल बनाने में अपना पूरा योगदान देते दिखते हैं। जिसके कारण सीताकुंड का माघी मेला सांप्रदायिक सौहार्द का मिशाल पेश कर रहा है। इस मेले की एक और खासियत है की यहां सस्ते कीमतों में फर्नीचर खरीदने के लिए साल भर लोग सीताकुंड के माघी मेला का इंतजार करते हैं।

लकड़ी के बने फर्नीचर की खरीदारी भी शुरू हो गयी है। खाली मैदान में 10 से 15 बड़े लकड़ी के कारोबारियों ने बाजार लगाया है। सीताकुंड मेला में मुंगेर ही नही बल्की आस पड़ोस के जिलों से भी श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचते है। यहां लोग पूजा अर्चना के साथ साथ बच्चों का मुंडन करवाते हैं। इस मामले मे स्थानीय ग्रामीण बीएम अमरेश, दिलीप मंडल ने बताया की अभी तक सीताकुंड के विकास को लेकर कोई खास पहल नहीं किया गया है। अगर इसे पर्यटक स्थल के रूप में पूर्ण विकसित कर दिया जाय तो आस पास के कई लोगों को रोजगार मिल जायेगा ।