मुंगेर में एक मां ने अपनी 4 बेटियों को सड़क पर भटकने के लिए छोड़ दिया। पंजाब से चारों बच्चियां ट्रेन से बिहार पहुंची, वहां से भटकते-भटकते अपने गांव मुंगेर आई, लेकिन मकान मालिक ने रहने देने से मना कर दिया। बच्चियों ने करीब 1 महीने एक मंदिर में गुजारे, जहां लोग उन्हें कुछ खाने-पीने को दे दिया करते थे। अब उनलोगों ने भी मुंह फेर लिया। भटक रही इन छोटी-छोटी बच्चियों को अब स्थानीय लोगों ने पुलिस के हवाले कर दिया, जहां से इन्हे चाइड लाइन भेजने की तैयारी है।
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दरअसल, इन बच्चियों के पिता की एक साल पहले मौत हो गई थी। पिता की मौत के दो महीने बाद ही मां ने दूसरी शादी कर ली और बच्चों के साथ पंजाब चली गई। दूसरे पति ने बेटियों को कुछ दिन तो अपने साथ रखा, फिर एक बेटे को अपने पास रख कर बेटियों को घर से निकाल दिया। पंजाब से ₹400 देकर ट्रेन पर बिठा दिया। मां ने कहा तुम्हारे नए पिता ने मेरे भरण-पोषण करने की जिम्मेवारी ली है , तुम्हारी नहीं। इसलिए तुम लोग यहां से चली जाओ, मैं आऊंगी तो कुछ करूंगी।
देर रात भटक कर आ गई थी नयागांव
चार लड़कियों में बड़ी 13 साल की संजू कुमारी ने बताया कि मेरे पिता राजेश बिंद की 1 साल पहले बीमारी से मौत हो गई थी। वे मजदूरी करते थे। घर की हालत बहुत खराब थी। किसी तरह गुजारा हो रहा था। पिताजी के चले जाने के बाद घर में खाने के भी लाले पड़ गए।
पिताजी के मृत्यु के कुछ महीने बाद ही मां ने किसी और से रिश्ता जोड़ लिया और उसके साथ पंजाब चली गई। मैं चार बहनों में बड़ी (13 साल संजू कुमारी) मेरे से छोटी 10 साल की काजल, उससे छोटी नेहा 5 साल की और 1 साल की ब्यूटी कुमारी है और एक 7 साल का भाई विवेक है। मां ने उसे अपने पास रख लिया।
बेटे को रखा साथ, चारों बेटियों को भटकने के लिए थोड़ दिया
संजू ने बताया, हम लोग कुछ दिन नए पिताजी के साथ पंजाब में रहे। लेकिन नए पिताजी ने मां से कहा हमने तुम्हारी जिम्मेदारी ली थी, तुम्हारी बेटियों की नहीं। एक बेटा है उसको मैं रख लेता हूं। चारों बेटी को नहीं रख सकूंगा। इसे यहां से भगा दो। संजू ने कहा कि मुझे ₹400 देकर मेरे नए पिता ने पंजाब से क्यूल आने वाली ट्रेन पर बिठा दिया। फिर मुझे रास्ता याद था मैं मुंगेर आ गई। जहां मां किराए के मकान में रहते थी।
मकान मालिक ने भी कहा कि जब तुम्हारा यहां कोई नहीं है तो तुम्हें कैसे रखूं। उसने भी मुझे भगा दिया। लावारिस हालत में मिली बच्चियों ने कहा कि पिछले एक माह से हम चारों बहन सोझी घाट में ही एक मंदिर में गुजारा करते थे। गांव वाले कुछ खाना पीना दे दिया करते थे उसी से जिंदगी कट रही थी। लेकिन अब उन लोगों ने भी मुंह फेर लिया।
मां के रिश्तेदार को खोजते हुए पहुंची नया गांव
चारों बेटियों में बड़ी बेटी संजू कुमारी ने कहा कि उन्होंने मुझे कुछ याद था कि मेरी मां की भाभी वासुदेपुर ओपी क्षेत्र अंतर्गत नया गांव इलाके में रहती है, इसीलिए घूमते-घूमते यहां चली आई। यहां के लोगों ने मुझे रोक लिया। अब मुझे याद भी नहीं है कि मेरी मां की भाभी कहां रहती है और कहते-कहते सभी बहनें एक दूसरे को पकड़ कर रोने लगी।
स्थानीय लोगों ने की पहल पुलिस को सौंपा चारों बच्चियों को
भटकी हुई चारों बच्चियों को नया गांव के लोगों ने नया गांव बजरंगबली चौक पर रात 9:00 बजे देखा। पूछने पर चारों बहनों ने अपनी कहानी बताई। स्थानीय लोगों ने बच्चियों को खाना-पीना दिया और स्थानीय बासुदेवपुर पुलिस को सूचना दी। इस संबंध में बासुदेवपुर ओपी अध्यक्ष एलबी गुप्ता ने बताया कि 4 बच्चियों के भटककर आने की सूचना मिली है। पूछताछ की जा रही है। लावारिस होने पर इन्हें चाइल्डहुड को सौंपा जाएगा।
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