शहर के सोझी घाट पर चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन सन्ध्याकालीन बेला में कथा ब्यास स्वामी अनंताचार्य जी महाराज ने भगवान के पंचतत्व रूप की महत्ता बताते हुए ईश्वर की आराधना पर बल दिया। स्वामी ने कहा की नाम उसी का होता है जो दलितों को उठाता है और जो बेसहारों का सहारा बनता है। उन्होंने कहा कि क्रोध बहुत बड़ा शैतान, इससे मारा जाता है ज्ञान। इस दौरान कथा ब्यास ने कहा कि आज के परिवेश में मानव भगवान की भक्ति कम और अपने अन्य काम पर अधिक समय व्यतीत करते हैं। वैसे लोग हमेशा किसी न किसी वजह से परेशान रहते हैं। श्रीमद् भागवत कथा पुराण में सभी ग्रन्थों का सार है और यही एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमें भगवान की सभी लीलाओं का वर्णन किया गया है। यह बाते हम सभी जानते हैं और हर कथाओं में सुनने को भी मिलती है। मगर कथा श्रवण के बाद उस पर अमल करने से ही पुण्य प्राप्त होता है। श्रीमद्भागवतम् पुराण या कथा हिन्दुओं के सबसे प्रसिद्ध अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसका मुख्य विषय आध्यात्मिक योग और भक्ति चेतना को जागृत करना है। इस पुराण में भगवान श्री कृष्ण को सभी देवों में श्रेष्ठ माना गया है। श्रीमद्भागवतम् पुराण के रचयिता श्री वेद व्यास को माना जाता है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का चित्रण बहुत ही सूंदर तरीके से किया गया है। भागवत कथा के दौरान स्थानीय कलाकारों द्वारा आकर्षक झांकी भगवान के ऊपर प्रस्तुत की गई। वहीं अयोध्या से आए भजन गायकों के द्वारा भगवान का गीत गाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को मन्त्रमुग्ध करते रहे। कथा समापन के बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया। मौके राम मोहन सिंह, माधव प्रसाद सिंह, मणिराम सिंह, प्रहलाद सिंह, चंदन सिंह, प्रिंस सिंह एवं सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।
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