23 सितंबर को बगहा में धारदार हथियार से महिला की गला काट कर हत्या करने के बाद भी आरोपी साधु गांव में दिख रहा है। पर पुलिस उसे गिरफ्तार करने में पिछड़ रही है। मृतका का परिवार अब इतना दहशत में है कि किसी अनहोनी की आशंका से घर के दो बेटों को अपने रिश्तेदार के घर भेज दिया है। वहीं, मृतका का पति साधु के डर से 4-5 लोगों के साथ ही घर से बाहर निकल कमाने के लिए जाता है। हाथ में कुल्हाड़ी भी रखता है।
साधु को महिला के पति ने दी थी चेतावनी
दरअसल, चौतरवा थाना व नदी थाना के सीमा स्थित दियारा क्षेत्र के मठिया रेता मे गन्ना की खेत में बेचू यादव की पत्नी तारा देवी (40) की निर्मम हत्या 23 सितंबर को हुई थी। कथित साधु मोती लाल यादव ने धारदार हथियार से तारा देवी की गला काट कर हत्या कर दी थी। साधु, तारा देवी से एक तरफा प्यार करता था। तारा के पति हत्या के पहले कई बार मोतीलाल को चेतावनी भी दे चुके थे। इससे नाराज होकर उसने तारा देवी को मार डाला। महिला के पांच बच्चे हैं। इसमें तीन बेटी और दो बेटे हैं। इन सभी की उम्र 14 साल से कम है। हत्या के दिन महिला के साथ उसकी दो बेटियां भी थी।
साधु के डर से 8 कट्ठा खेत को रखा गिरवी
इधर, बेचू यादव ने साधु के डर से 8 कट्ठा जमीन को गिरवी रख पैसे का इंतजाम किया और घर में मजबूत दरवाजे और खिड़कियों को लगवाया है। वहीं, ऊपर से अल्बेस्टर भी रखवाया है। बेचू ने बताया कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद साधु के डर से घर को मजबूत करवाया है।
एक महिला के साथ करना चाह रहा था जबरदस्ती
मोतीलाल साधु 2008 में घास काट रही इसी गांव की एक महिला के साथ जबरदस्ती करना चाह रहा था। इसके बाद महिला ने शोर मचाया तो खेत में काम कर रहे महिला के ससुर सुखदेव दास दौड़े हुए आए और उसे बचाया। इसके बाद आरोपी ने सुखदेव दास की नाक काट दी थी। साधु को इस मामले में एक साल की जेल भी हुई थी।
1992 से साधु का आतंक
साधु का आतंक आज से नहीं बल्कि 1992 से है। चर्चित व्याधा हत्याकांड का मुख्य आरोपी था। इसमें वो जेल की सजा काट चुका है। हालांकि, इस केस में गवाह नहीं मिलने के कारण केस से बरी हो गया था, लेकिन कुछ वर्षों तक जेल की सलाखों के पीछे रहा था।
साधु को ट्रेस करना हो रहा मुश्किल: SP
वहीं, बगहा SP किरण कुमार गोरख जाधव ने बताया कि साधु की कई ठिकानों का पता चल रहा है। लगातार पुलिस दबिश बनाए हुए हैं। साधु घुमंतू की तरह रह रहा है, जिसकी वजह से उसे ट्रेस करना मुश्किल है। इतना ही नहीं साधु के पास कोई भी पहचान पत्र भी नहीं है।
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