बेतिया में वर्दी की वजह से गई हवलदार की जान:सहमते हुए बोला इंस्पेक्टर का ड्राइवर- जो वर्दी में नहीं थे वो तो भाग गए; लेकिन राम जनक सिंह वर्दी में थे

बेतियाएक वर्ष पहले
चंद्रशेखर सिंह, ड्राइवर।

बेतिया में पुलिस हिरासत में एक युवक की मौत के बाद हुए बवाल में एक हवलदार राम जनक सिंह की भी हत्या कर दी गई। शनिवार की दोपहर हुई इस हिंसा के बारे में वहां मौजूद इंस्पेक्टर के ड्राइवर ने पूरी घटना की आंखों देखी बताई है। ड्राइवर चंद्रशेखर हिंसा के दौरान बलथर थाने में ही मौजूद थे।

प्रत्यक्षदर्शी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि उग्र भीड़ थाने में गाड़ियों को जला रही थी। पुलिसकर्मियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जा रहा था। इस दौरान ही अधिकारी का फोन आया कि फायरिंग कीजिए। अपनी जान बचाने के लिए अपार्टमेंट में मौजूद सिपाहियों ने फायरिंग की। इसके बाद भीड़ अंदर घुस गई। सबसे पहले दरवाजे को तोड़ दिया गया।

प्रत्यक्षदर्शी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि उग्र भीड़ थाने में गाड़ियों को जला रही थी।
प्रत्यक्षदर्शी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि उग्र भीड़ थाने में गाड़ियों को जला रही थी।

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वर्दी की वजह से गई जान

शनिवार की घटना को याद कर चंद्रशेखर सिंह अभी भी सहम जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जो सिपाही वर्दी में नहीं थे। वे किसी तरह निकलकर भाग गए। लेकिन, राम जनक सिंह वर्दी पहने हुए थे। पूरी भीड़ उन पर टूट पड़ी। ईंट-पत्थर से मारकर राम जनक सिंह की जान ले ली। इसके बाद थाने को आग के हवाले कर दिया।

थाने में आगजनी के बाद पथराव करते लोग।
थाने में आगजनी के बाद पथराव करते लोग।

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10 से अधिक जवान घायल

बेतिया के बलथर थाने पर हुए हमले में 10 से अधिक जवान घायल हुए हैं। वारदात के चार घंटे बाद पुलिस बल के साथ मौके पर अफसर पहुंचे। भीड़ को हटाने की कोशिश की गई। लेकिन, भीड़ ने दोबारा पथराव कर दिया था। पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज और हवाई फायरिंग भी की। भीड़ को कंट्रोल में करने के लिए पुलिस को 6 घंटे लग गए।