VTR हिमालय की तराई में बिहार-नेपाल-उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है। नए साल में घूमने के लिए वाल्मीकि टाईगर रिजर्व एक बेहतरीन डेस्टिनेशन है। दरअसल, रामायण काल में वर्णित अति प्राचीन महर्षि वाल्मीकि का आश्रम इसी नेशनल पार्क में भारत नेपाल सीमा पर घने जंगलों में स्थित है। इसी वजह से इस सुन्दर स्थान का नाम ‘वाल्मीकि नेशनल पार्क’ किया गया। इस पूरे क्षेत्र को वाल्मीकि नगर के नाम से जाना जाता है और प्रमुख वन क्षेत्र को ‘वाल्मीकि टाईगर रिजर्व’ (VTR) के नाम से जाना जाता है, जो बाघों का संरक्षित क्षेत्र है। आइए एक-एक कर जानते हैं... नए साल में VTR जाने पर क्या कुछ खास मिलेगा।
धार्मिक स्थल
वाल्मीकि नगर में ही आदिशक्ति मां दुर्गा का एक दिव्य मंदिर घने जंगलों के बीच स्थित है। यही पर जटाशंकर स्थान स्थित है। यहां स्वयंभू महादेव का प्राचीनतम मंदिर है, जो एक ही पत्थर से बना है। यह घने जंगलों के बीच गंडक नदी के करीब आदिकाल से स्थित है। इससे थोड़ी दूर पर गंडक नदी के तट पर कवलेश्वर नाथ का मंदिर है, इसके विषय में मान्यता है कि यह राजा से वैराग्य लिए भरथरी ने बनवाया था।
ललमटिया में अद्भुत सनराइज और सनसेट
VTR के रघिया वन क्षेत्र का ललमटिया यह स्थल सनराइज देखने के लिए अद्भुत है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब पहली बार अनायास ही वन भ्रमण के क्रम में इस स्पॉट पर पहुंचे तो यहां का दृश्य देखकर भाव विभोर हो गए। साथ में चल रहे वन विभाग के पदाधिकारी तथा जिला प्रशासन से इस पर चर्चा की और इसको विकसित किया गया।
वाल्मीकि नगर बैराज
विद्युत उत्पादन के लिए गंडक नदी के ऊपर एक बांध का निर्माण किया गया है, जिसका उद्घाटन प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था। गंडक नदी पर बनी बहुउद्देशीय परियोजना जहां 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है और यहां से निकलती नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है। 36 फाटकों के इस बांध में नेपाल तथा भारत की आधी-आधी हिस्सेदारी है। इस बैराज पर पहुंचने के बाद नदियों के साथ आ रही ठंडी हवाएं मनुष्य को तरोताजा कर देती है।
शीश महल
राधे कृष्ण का यह मंदिर नेपाल में स्थित है, जहां गंडक बराज से ई रिक्शा द्वारा ही नेपाल पहुंचकर इस मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर के चारों तरफ शीशे लगाए गए हैं, जहां प्रवेश करने पर व्यक्ति प्रतिबिंबों को देख अचंभित रह जाता है। मंदिर के आगे का दृश्य अत्यंत ही मनोरम है, जहां से धौलागिरी की पहाड़ियों को आसानी से देखा जा सकता है। शीश महल के ठीक बगल में ही श्री गजेंद्र मोक्ष दिव्य धाम भी अवस्थित है।
त्रिवेणी संगम
गंडक बराज से थोड़ी ही दूरी पर नेपाल में त्रिवेणी संगम है, जहां पर तमसा, सोनभद्र एवं नारायणी नदियां आकर मिलती है। इन नदियों का वर्णन रामायण में भी किया गया है। ऐसी मान्यता है कि यहां स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इको पार्क
इको पार्क के रूप में यहां के स्थानीय राज्य सरकार ने आकर्षक पार्क का निर्माण कराया है, जो जंगल कैंप के सामने बनवाया गया है। इस पार्क में बैठने के लिए स्थान तथा बच्चों के झूले भी लगे हैं। इको पार्क के ठीक नीचे लगभग 2 किलोमीटर पथ वे बना है। जिस पर पर्यटक नदी का आनंद लेते हुए सुबह टहलने का मजा लेते हैं।
वाल्मीकिनगर झूला पुल
एक अन्य आकर्षण केंद्र झूला पुल है, जिससे व्यक्ति झूले पर एक छोर से दूसरे छोर तक झूलते हुए जा सकते हैं। जंगल और बच्चों के बीच झूलते हुए पुल पर आनंद ले सकते हैं।
रहने की सुविधा
जंगल कैंप और वाल्मीकि विहार रिसॉर्ट दोनों में बिहार सरकार द्वारा पर्यटकों को अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करवाया गया है। चाय नाश्ते के साथ शाकाहारी एवं मांसाहारी भोजन का लुत्फ उठाया जा सकता है। यह कैंटीन सुबह से रात तक खुली रहती है।
सैलानियों के लिए वन विभाग की तरफ से बहुत ही किफायती दरों पर बंबू हट, ट्री हट, जंगल कैंप और टेंट कैंप आदि में रहने की सुविधाएं दी जाती हैं। जहां पर्यटक अपनी मर्जी के अनुरूप चयन कर सकते हैं, जो काफी सस्ते दरों पर उपलब्ध है। यह एक सौ से लेकर 1680 तक के सरकारी रूम है। जबकि, व्यक्तिगत रूप से चलाने वाले होटलों में 500 से लेकर 3000 तक के रूम है। इसके लिए पर्यटक https://booking.valmikitigerreserve.com/site/index साइट पर अपना बुकिंग कर सकते हैं। इसके साथ पर्यटक 6207283609 इस नंबर पर कॉल करके नेचर गाइड या किसी भी प्रकार की सुविधा दे सकते हैं।
जंगल की सैर
पर्यटकों को जंगल में घुमाने के लिए यहां वन विभाग की ओर से ओपेन जीप्सी की व्यवस्था की गई है, जो आपको सुरक्षित रूप से जंगल की सैर करवाती है। इस सैर में आपके साथ एक गाइड भी होता है, जो आपको इस जंगल की विविधताओं से परिचित करवाता है। जिप्सी में 6 पर्यटक एक साथ बैठ सकते हैं। वही राफ्टिंग के लिए मोटर बोट्स की सुविधा भी उपलब्ध है तथा जंगल सफारी के लिए सरकारी और प्राइवेट सभी प्रकार की गाड़ियां चलती है।
साइकिल की सवारी
यहां साइकिल से भी इस जंगल का सैर किया जा सकता है। जंगल कैंप में आपको सस्ते दरों में किराये पर साइकिल मिल जाएगी और साथ में एक गाइड भी मिलेगा, जो आपको सुरक्षित रास्ते से जंगल की सैर करवाएगा । साइकिल से आप VTR जंगल कैंप से वाल्मीकि आश्रम (नेपाल) तक घने जंगलों में ट्रैकिंग कर सकते हैं, यह एक रोमांचक सैर है, जहां आपको रास्ते में कई वन्यजीव दिखाई देते हैं। साइकिल द्वारा भारत-नेपाल बार्डर क्रॉस करना, जंगली नदी क्रॉस करना वो भी घने जंगलों के बीच यह अनूठा अनुभव है। साथ ही सभी स्थानों को घूमने के लिए ई रिक्शा की व्यवस्था है, जिसके लिए मिनिमम कुछ रुपए देना होता है।
कैसे पहुंचे वाल्मीकि नगर
भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 1,400 किलोमीटर दूर और बिहार की राजधानी पटना से लगभग 300 किलोमीटर उत्तर में भारत नेपाल की सीमा पर पश्चिम चम्पारण जिले में स्थित यह बिहार का इकलौता राष्ट्रीय उद्यान है। पश्चिमी चंपारण जिले का एक रेलवे स्टेशन बगहा है। बगहा रेलवे स्टेशन से मात्र 45 किलोमीटर की दूरी पर वाल्मिकी नगर स्थित है। वाल्मीकि नेशनल पार्क पहुंचने के लिए गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) एवं बेतिया (बिहार) से सीधी एवं अच्छी सड़कें हैं। यहां से कुछ घंटे में सड़क मार्ग से आप पहुंच सकते हैं। नेपाल से भी यह पार्क सड़क मार्ग से महज कुछ मिनट की दूरी पर स्थित है। बिहार की राजधानी पटना के पाटलिपुत्र जंक्शन से कई ट्रेन नरकटियागंज के लिए आती हैं। नरकटियागंज से किसी भी गोरखपुर जाने वाली पैसेंजर ट्रेन को पकड़ के बगहा स्टेशन जाया जा सकता है। वहीं, मुजफ्फरपुर से भी बगहा के लिए डायरेक्ट ट्रेन है। बगहा से प्राइवेट टैक्सी या फिर बस वाल्मीकि नगर गोल चौक जाया जा सकता है। गोल चौक से होटल तक जाने के लिए ई-रिक्शा या फिर पैदल जाया जा सकता है। वही पटना के बस स्टैंड से प्रतिदिन दो बसें सीधे वाल्मीकि नगर के लिए चलती हैं ।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
वन विभाग के तरफ से वनपाल जंगल के अंदर तैनात है। वहीं, वाल्मीकि नगर में SSB कैंप है। जहां कई पोस्ट बनाए गए हैं। SSB की वजह से यहां पर क्राइम जीरो प्रतिशत है। यहां पर पूरी रात लोग नदी के किनारे बैठ कर प्राकृत का आनंद लेते रहते हैं। उनकी सुरक्षा में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आती है।
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