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पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज प्रखंड के चेंगवना गांव में एक व्यक्ति को 12 साल पहले मृत घोषित कर उसके परिजनों के अंगूठे का फर्जी निशान बनाकर पंचायत के जनप्रतिनिधि व कर्मियों ने कबीर अंत्येष्टि के 15 सौ की राशि का बंदरबांट कर ली। चेंगवना निवासी आशिक बैठा को इस बात की जानकारी चार साल बाद तब हुई जब वर्षों से उन्हें किसी भी तरह का सरकारी लाभ नहीं मिल रहा था। इसके बाद आशिक बैठा अपने जीवित होने का प्रमाण लिए आरटीआई और डीएम तक का दरवाजा खटखटाया। लेकिन नतीजा सिफर रहा। अब भी वह बुजुर्ग अपने जीवित होने का प्रमाण लिए सरकारी दफ्तरों के दरवाजे खटखटा रहे हैं।
4 साल बाद पता चला कि कागज पर मृत घोषित हाे चुके हैं : नरकटियागंज प्रखंड के शिकारपुर थाना के चेंगावन गांव निवासी आशिक बैठा को वर्ष 2009-10 में मृत घोषित कर कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना की 1500 रुपए की राशि उठा ली गई थी। जिसकी जानकारी आशिक बैठा को 2014 में हुई। जानकारी होने के बाद आशिक बैठा ने 2014 के तत्कालीन डीएम से मुलाकात कर अपने जिंदा होने का सबूत देते हुए न्याय की गुहार लगाई। तत्कालीन डीएम ने नरकटियागंज के बीडीओ को जांच का आदेश दिया, लेकिन वो जांच अब तक पूरी नहीं हुई। तत्कालीन डीएम से मिलने के बाद उसने अपने अधिवक्ता सेे राय लेकर एक आरटीआई में शिकायत भी की थी, लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ।
मजदूरी कर घर चलाते हैं आशिक बैठा नहीं मिलता है कोई भी सरकारी लाभ
आशिक बैठा मजदूरी का काम कर अपना घर-परिवार चलाते हैं। आशिक बैठा ने बताया कि उन्हें सरकार से किसी भी योजना का लाभ नहीं मिलता है, क्योंकि सरकारी कागजों में उनकी मौत 12 साल पहले ही हो चुकी है। उन्होंने बताया कि उनको मृत घोषित करने के बाद भी कबीर अंत्येष्टि की राशि उनके परिवार को नहीं मिली। बल्की सरकारी कागजों में उनके दो भाई आरस बैठा एवं युनूस बैठा को पुत्र बताकर राशि का उठाव कर लिया गया है। जब मुझे ये जानकारी हुई उसके बाद 2015 में मैंने आधार कार्ड बनवाया।
रुपए के उठाव के लिए भाई को बनाया पुत्र, लगा दिया फर्जी अंगूठे का निशान
आशिक बैठा के भाई युनूस बैठा ने बताया कि 2009 में ही बड़े भाई आशिक बैठा को मृत बताकर कफन का पैसा उठा लिया गया। जिसके बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है। जबकि कागजों में गलत तरीके से दो भाइयों को उनका पुत्र बताकर फर्जी तरीके से रुपए का उठाव किया गया है। रुपए के उठाव में जो अंगूठे का निशान है वह भी फर्जी है, जो जांच का विषय है। उन्होंने बताया कि उनके बड़े भाई आशिक बैठा अभी भी जिंदा हैं।
कफन के लिए मिलती है कबीर अंत्येष्टि की राशि
2007 में राज्य सरकार ने गरीबों के लिए कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना की शुरुआत की थी। जिसके तहत गरीबी रेखा के नीचे वाले परिवार को घर के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर कफन व अंतिम संस्कार के लिए 1500 रुपए सहायता राशि के रूप में मिलती थी। जो 2014 में बढ़ाकर 3000 रुपये कर दी गई थी। यह राशि पंचायत सचिव के अनुमोदन पर मुखिया के अनुमति से दी जाती है।
दूसरे प्रदेश चले गए पंस, बीमार हैं मुखिया
बताया जाता है कि एक दूसरे मामले में चेंगवना के तत्कालीन पंचायत सचिव ओम प्रकाश शुक्ल 2014 में जेल चले गए। जेल से आने के बाद नौकरी से बर्खास्त होने पर यहां से जाकर यूपी में कही रह रहे हैं। उधर, पूर्व मुखिया मधुबाला तिवारी के पुत्र अरविंद मणि तिवारी ने बताया कि उनकी मां अभी पटना में इलाजरत है। हो सकता है मिसिंग का मामला हो।
पीड़ित के वकील ने कहा- फर्जीवाड़ा है
पीड़ित के वकील दीपक मणि तिवारी ने बताया कि जब मामला मेरे पास आया तो जांच पड़ताल कर आरटीआई में शिकायत दर्ज कराई। कबीर अंत्येष्ठि अनुदान के तहत मिलने वाली राशि ग्राम सभा के अध्यक्ष एवं सचिव के माध्यम से पीड़ित परिवार को मिलता है। इस मामले में जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित कर रुपए का बंदरबांट किया गया है जो पूरी तरह से फर्जीवाड़ा है। दोषियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई होनी चाहिए।
दोषी पर कानूनी कार्रवाई तय है : बीडीओ
इस तरह का मामला संज्ञान में नहीं है। जांच की जाएगी और इस मामले में जो भी दोषी होगा उसपर कानूनी कार्रवाई तय है।
-सतीश कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी, नरकटियागंज।
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