समस्तीपुर जिले के उजियारपुर में आज भी मकर संक्रांति के अवसर पर वर्षों से चली आ रही खिचड़ी के लिए चावल दान करने की परंपरा आज भी चली आ रही है। लोग मकर संक्रांति के दिन टोले के प्रत्येक घरों से चावल इक्कठा कर ठाकुरबाड़ी पर जमा करते हैं। फिर चावल की ढेरी लगाई जाती है।
एक ओर जहां हम अपनी पुरानी परंपरा से विमुख होते जा रहे हैं। वहीं पतैली गांव के लोग आज भी अपने परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं। पहले से मकर संक्रांति के दिन चली आ रही खिचड़ी के चावल पंडित को दान करने की परंपरा यहां आज भी चली आ रही है।
चावल जमा होने के बाद दोपहर के समय से पतैली व बेलारी गांव के पंडितों को यह दान किए जाते हैं। शुक्रवार को भी हर्षोल्लास के साथ पुरानी परंपरा के अनुसार ही लोगों ने चावल की ढेरी लगाई। दर्जनों पंडित को खीचडी के चावल दान किए। गांव के अरुण कुमार चौधरी बताते हैं कि बीते सैकडों वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। आज भी हम सब इसका जिम्मेदारी पूर्वक निर्वाह करते आ रहे हैं। वहीं पंडित मनी झा बताते हैं कि आज के इस युग में लोग भौतिक सुख को प्रधानता दे पुरानी परंपराओं को भूलते जा रहे हैं। मकर संक्रांति के दिन चावल दान करने की परंपरा यजमान व पंडित के प्रेम को दर्शाता है।
इधर पूरे जिले व विभिन्न प्रखंड मुख्यालय सहित लोहागीर गांव के बाबा बोधबली, चंदौली के ठुठा महादेव सहित अन्य देवी देवताओं के देवालयों में मकर संक्रांति के अवसर पर लोगों ने पूजा अर्चना की। लोगों ने अपने अपने घरों में पंडितो को अन्न, तिल के बने सामान आदि दान किए। हर्षोल्लास पूर्वक पर्व मनाया गया। लोगों ने परंपरा के अनुसार सुबह दही चूड़ा व तिलकुट, तिलबा आदि का भोजन किया।
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