पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
(गजेंद्रसिंह राजपुरोहित). कोरणावटी क्षेत्र में पानी खारा होने से ग्रामीण किसान केवल बरसात पर ही निर्भर है। भरपूर बरसात होने पर खरीफ की फसल में बाजरा, मूंग, मोंठ, ज्वार, ग्वार की पैदावार होती है। वर्तमान में जागरूक किसान नवाचार का प्रयोग कर फलदार पौधे लगाने शुरू किए। थोब में तीन साल पहले जबर सिंह महेचा ने खेत में बोरवेल खुदाई। जिसमें खारा पानी निकला लेकिन निराश नहीं होकर फलदार पौधे लगाने की मन में ठान कर कार्य शुरू किया। बिजली का कनेक्शन नहीं होने पर सौर ऊर्जा का 5 होर्स पाॅवर का सयंत्र स्थापित किया गया।
1300 पौधे महाराष्ट्र सिन्दूरी अनार के, 500 पौधे थाई एपल बैर के व 100 पौधे गोला बैर के 20 बीघा भूमि में लगाए गए। बूंद बूंद सिंचाई की ड्रीप लगाकर सिंचाई की गई। पौधों में जैविक खाद का प्रयोग किया गया। इस वर्ष उक्त पौधों पर बैर व अनार के फल लगे हैं।
थाई एपल के पेड़ से पहली बार करीबन 30 से 40 किलोग्राम व सिंदुरी अनार के पेड़ से 5 से 8 किलोग्राम फल उतरेंगे। पहली उपज करीबन 8 लाख रुपए की आएगी। थाई एपल बैर का वजन 50 से 100 ग्राम तक होता है। इसको खाने में सेव का टेस्ट आता है। वहीं सिन्दूरी अनार के दाने लाल रंग के खाने में मीठे होते है।
थाई एपल के पेड़ पर लदे थाई एपल बैर
नया अनुभव सीखने को काफी मिला है। किसान सरकार से अनुदान प्राप्त कर बागवानी कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। जैविक खाद व दवाइयां से पहली फसल तैयार हुई है।
-जबरसिंह महेचा, थोब किसान
फलदार पौधे लगाने पर किसान को 35 रुपए प्रति पौधा अनुदान, ड्रीप पर 50 प्रतिशत व सौर ऊर्जा लगाने पर 45 से 75 प्रतिशत का अनुदान उद्यानिकी विभाग द्वारा मिलता है।
- महेन्द्र सैनी, कृषि पर्यवेक्षक
पॉजिटिव- इस समय ग्रह स्थितियां पूर्णतः अनुकूल है। सम्मानजनक स्थितियां बनेंगी। विद्यार्थियों को कैरियर संबंधी किसी समस्या का समाधान मिलने से उत्साह में वृद्धि होगी। आप अपनी किसी कमजोरी पर भी विजय हासिल...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.