पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
शराब पीए होने की तकनीकी पुष्टि के बावजूद मैनुअल रिपोर्ट के आधार पर शराबियों को छोड़ देने को लेकर चर्चा में आए गम्हरिया थानाध्यक्ष मनोज कुमार बच्चन की कार्यशैली भी लापरवाह और विवादित है। किसी भी थाने का सबसे महत्वपूर्ण कागजात स्टेशन डायरी भी यहां अपडेट नहीं रहती है। महज तीन माह के अंदर में इससे संबंधित तीन मामले आ चुके हैं। दो बार उनके खिलाफ वरीय पदाधिकारियों ने एक्शन भी लिया। लेकिन हर बार ये बड़ी कार्रवाई से बच जाते हैं। 30 दिसंबर की रात को शराब पीए होने को लेकर जिन तीन संदिग्धों को पुलिस ने पकड़ा था, उन लोगों की इंट्री भी स्टेशन डायरी में अंकित नहीं है। जबकि इस तरह के मामले में स्टेशन डायरी का अंकित होना बेहद अनिवार्य है। अगली सुबह उन लोगों को पीआर बांड पर छोड़ा भी गया। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या उन लोगों को छोड़ने की ही प्लानिंग थी। जब स्टेशन डायरी ही अंकित नहीं हुई, तो फिर पीआर बांड का क्या? इस बाबत थानाध्यक्ष मनोज कुमार बच्चन कहते हैं कि मैंने एक चौकीदार के बेटे से बोल दिया था कि स्टेशन डायरी अंकित कर देना। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। जबकि उसी चौकीदार के बेटे ने थानाध्यक्ष के कहने पर अगली सुबह पीआर बांड लिखा था। उसे जांच के दौरान एक जनवरी को बुलाया भी गया था।
स्टेशन डायरी को लेकर पूछा था शो-कॉज
पिछले माह रात्रि निरीक्षण के दौरान एसपी योगेंद्र कुमार ने विभिन्न थानों का निरीक्षण किया था। इस दौरान भी एसपी ने वहां स्टेशन डायरी को अपडेट नहीं पाया। इस कारण से उन्हें शो-कॉज किया गया था। इसके जवाब में थानाध्यक्ष कहते हैं कि उन्होंने साहब को लिखकर दे दिया था कि गम्हरिया थाने में कोई थाना लिपिक नहीं है। सवाल यह कि अगर थाने में थाना लिपिक नहीं है, तो एफआईआर समेत अन्य कार्य किससे कराया जाता है। एक सच्चाई यह भी है कि जिले ही नहीं राज्यभर के अधिकांश थानों में थाना लिपिक नहीं है। यह काम प्राइवेट लोगों, होशियार चौकीदार या उसके बेटे, या फिर साक्षर सिपाही से ही कराया जाता है। कई थानों में रिटायर्ड कनीय कर्मी भी यह काम कर रहे हैं।
स्टेशन डायरी में गंभीर बातें दर्ज रहने की चर्चा
सूत्र बताते हैं कि ठंड के शुरुआती दिनों में एक बार एक वरीय पुलिस अधिकारी अचानक से रात को गम्हरिया थाने पहुंच गए। उस समय थाने पर एक छोटा बालक आधे कपड़े में बैठा था। पूछताछ में पता चला कि उक्त बालक ने गम्हरिया के एक जलकर में मछली मारने के लिए बंशी लगाया था। इसी आरोप में उसे थाने में रात को बैठाया गया था। लेकिन स्टेशन डायरी में यह अंकित नहीं था। इसके बाद उक्त पदाधिकारी ने स्टेशन डायरी में काफी कुछ लिखा था। लेकिन वह मामला भी दब गया। सवाल यह कि बिना स्टेशन डायरी के थाने पर किसी को डिटेन कर रखना कहां से कानून सम्मत है। अगर ऐसे लोगों के साथ कोई हादसा हो जाए, तो इसकी जिम्मेदारी किस पर तय होगी? फिलहाल शराबी को छोड़ने के मामले की सदर इंस्पेक्टर ने जांच कर ली है। एसपी योगेंद्र कुमार ने शो-कॉज पूछा है। मैनुअल रिपोर्ट देने वालीं गम्हरिया पीएचसी की डॉक्टर अन्नु आनंद से भी पूछताछ होनी है।
पॉजिटिव- आज आपकी प्रतिभा और व्यक्तित्व खुलकर लोगों के सामने आएंगे और आप अपने कार्यों को बेहतरीन तरीके से संपन्न करेंगे। आपके विरोधी आपके समक्ष टिक नहीं पाएंगे। समाज में भी मान-सम्मान बना रहेगा। नेग...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.