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वर्ष 2011 के बाद से अबतक पंचायत समिति एवं प्रखंड कार्यालय के ऑडिट में दिखाए गए त्रुटि का निराकरण नहीं हो सका है। इसमें लंबे समय से प्रशासनिक विफलता सामने आती रही है। वहीं लंबे समय से जिला में अंकेक्षण अनुपालन समिति की भी बैठक नहीं हो सकी है। जबकि इसके लिए पंचायती राज विभाग से 20 से अधिक बार रिमाइंडर नोटिस दिया जा चुका है। पर विभाग के रिमाइंडर नोटिस की जिला स्तर पर प्रत्येक बार अनदेखी की गई। वहीं विभाग की ओर से अति महत्वपूर्ण होने का हवाला देते हुए शीघ्र ऑडिट में सामने आए त्रुटियों को दूर किए जाने के लिए नोटिस दिया जाता रहा। साथ ही इस कार्य में दिलचस्पी नहीं दिखाने वाले अधिकारियों के ऊपर भी कार्रवाई किए जाने का निर्देश डीएम को दिया गया।
भाजपा नेता स्वर्णिम कुमार गुप्ता ने बताया कि अंकेक्षण अनुपालन समिति की बैठक नहीं होने से संबंधित संस्था में गबन व भ्रष्टाचार से संबंधित बात की भी प्रबल संभावना बनी रहती है। साथ ही इसकी आड़ में हेराफेरी करने वाले लोगों का मनोबल बढ़ा हुआ रहता है। ऑडिट कार्य संपन्न होने के बाद त्रुटियां सामने आने के बाद इसका निराकरण किया जाता तो एक तरफ कार्य में भी पारदर्शिता बनी रहती, वहीं दूसरे तरफ भ्रष्टाचार को बढावा देने वाले लोगों को भी चिन्हित किया जा सकता। साथ ही इनकी माने तो इस कार्य का संपादन इसलिए भी नही किया जा रहा है ताकि खुले रूप से लूट-खसोट होता रहे।
पंचायती राज पदाधिकारी बोले- जानकारी मुझे नहीं है, निरीक्षण के बाद कार्रवाई होगी
समिति की बैठक डीएम की अध्यक्षता में होती है
समिति की बैठक डीएम की अध्यक्षता में की जाती है। साथ ही सदस्य के रूप में उपविकास आयुक्त व पंचायती राज पदाधिकारी के अतिरिक्त कई अन्य सदस्यों की मौजूदगी अनिवार्य होती है। पर विभाग में इस बात की भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है कि अंकेक्षण अनुपालन समिति की अंतिम बैठक कब और किस वर्ष हुई थी।
आरटीआई से भी नहीं दी जा रही जानकारी
इससे संबंधित तथ्यों की जानकारी आरटीआई से भी नही दी जा रही है। उक्त मामले की जानकारी के लिए आरटीआई एक्टिविस्ट ललन कुमार मिश्रा ने आरटीआई किया था। इस संबंध में संबंधित अधिकारी को सूचना दिए जाने के लिए प्रमंडलीय आयुक्त ने भी निदेशित किया था। पर इनके निदेश को भी ताक पर रख दिया गया। कारण मामला अभी अपील में है साथ ही इस मामले में प्रपत्र ( क) का गठन होने के बावजूद भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो रही है।
विभाग की ओर से दिए गए रिमाइंडर नोटिस का डिटेल्स
आखिरी रिमाइंडर नोटिस विभाग से 15 जनवरी 2019 को दिया गया है। वहीं इससे पूर्व 4 दिसंबर 2013, 23 दिसंबर 2013, 22 मई 2014, 28 जुलाई 2014, 25 सितंबर 2014, 7 नवंबर 2014, 19 अगस्त 2015, 14 जनवरी 2016, 24 फरवरी 2016, 4 अगस्त 2016, 26 सितंबर 2016, 16 जनवरी 2017, 3 मार्च 2017, 18 सितंबर 2017 व 7 नवंबर 2017 को पंचायती राज विभाग पटना से लगातार रिमाइंडर नोटिस भेजा रहा है। पर नोटिस को प्रत्येक बार अनदेखी की जाती रही है। हालांकि विभाग से रिमाइंडर की शुरुआत 2011 से ही कर दी गई है।
विभाग की ओर से दिए गए रिमाइंडर नोटिस का डिटेल्स
आखिरी रिमाइंडर नोटिस विभाग से 15 जनवरी 2019 को दिया गया है। वहीं इससे पूर्व 4 दिसंबर 2013, 23 दिसंबर 2013, 22 मई 2014, 28 जुलाई 2014, 25 सितंबर 2014, 7 नवंबर 2014, 19 अगस्त 2015, 14 जनवरी 2016, 24 फरवरी 2016, 4 अगस्त 2016, 26 सितंबर 2016, 16 जनवरी 2017, 3 मार्च 2017, 18 सितंबर 2017 व 7 नवंबर 2017 को पंचायती राज विभाग पटना से लगातार रिमाइंडर नोटिस भेजा रहा है। पर नोटिस को प्रत्येक बार अनदेखी की जाती रही है। हालांकि विभाग से रिमाइंडर की शुरुआत 2011 से ही कर दी गई है।
संचिका देखने के बाद ही कुछ स्पष्ट हो सकेगा : डीपीआरओ
पंचायती राज पदाधिकारी शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि मुझे इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं है। संचिका देखने के बाद ही कुछ स्पष्ट हो सकेगा। संचिका का निरिक्षणोपरांत इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
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