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भगवान श्रीकृष्ण संधि प्रस्ताव लेकर पहुंचे, तो दुर्योधन ने छप्पन प्रकार का व्यंजन तैयार कराया। लेकिन, भगवान श्रीकृष्ण ने व्यंजन ग्रहण करने से मना कर दिया। वे बिदूरजी के घर पहुंचे और अपने आने की जानकारी दी। विदूरजी की पत्नी स्नान कर रही थीं, पर जैसे ही प्रभु के आने की सूचना मिली वह उनके प्रेम में पागल हो गईं। अपने शरीर का उन्हें भान भी नहीं रहा। विदूरानी का प्रेम देख भगवान श्रीकृष्ण खाना मांगने लगें। …देखो आज के भक्त भगवान से मांगते हैं, लेकिन आज भगवान भक्त से मांग रहा।
भगवान ने साग व केला का छिलका भी खाया। वहीं सराहना भी की। शहर के राजा बाजार स्थित न्यू गोपालपुर मुहल्ला में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन सोमवार को कथावाचक पंडित राजेश मिश्र ने उद्गार व्यक्त की, तो पंडाल में मौजूद श्रद्धालु आस्था में डूबे नजर आएं। उन्होंने कहा कि भोजन ग्रहण के बाद विदूरजी ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा। दुर्योधन के यहां छप्पन प्रकार के व्यंजन बने थे, पर आपने ग्रहण नहीं किया क्यो? इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि आप जैसे भक्त भोजन नहीं करते, तो मैं भी उनके यहां भोजन नहीं करता। कहा- विदूर सदाचार व पवित्रता के साथ भोजन करते थे। प्रेम व भाव से भजन करने पर जीव से भगवान जरुर मिलने आएंगे। कथावाचक के नेतृत्व में गायकों ने भाव के भूखे हैं भगवान, भाव नहीं तो सब जग सूना… आदि भजनों की प्रस्तुति भी दी।
पॉजिटिव- आप अपने व्यक्तिगत रिश्तों को मजबूत करने को ज्यादा महत्व देंगे। साथ ही, अपने व्यक्तित्व और व्यवहार में कुछ परिवर्तन लाने के लिए समाजसेवी संस्थाओं से जुड़ना और सेवा कार्य करना बहुत ही उचित निर्ण...
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