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शुद्ध जीव का ब्रम्ह के साथ विलास ही रास है। शुद्ध जीव का मतलब, माया के आवरण से रहित होना है। तब जीव का ब्रम्ह के साथ मिलन होगा। साधारण स्त्री-पुरुष का नहीं। रास में परमात्मा व आत्मा का मिलन हुआ। कामनाओं के त्याग से ही प्रभु की प्राप्ति होगी। शहर के राजा बाजार स्थित न्यू गोपालपुर मुहल्ला में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक पंडित राजेश मिश्र ने यह उद्गार व्यक्त की। उन्होंने कथा में मौजूद श्रद्धालुओं को भगवान को आधार बनाने की जरुरत पर बल दिया। कहा कि भगवान को अपना आधार बनाने वालों के जीवन में आनंद ही आनंद है। गोवर्धन धारण करते समय गोप ग्वालों का अहम भाव आया, तो श्रीकृष्ण ने अपना हाथ ढिला कर दिया और सब दबने लगें। यह स्थिति देख गोप ग्वालों ने भगवान श्रीकृष्ण को अपना आधार बना लिया। भगवद् आश्रय लेने पर भगवान सबके सुख-दुख उठा लेते हैं। कथा में मथुरा गमन, कंस वध, सांदिपनी आश्रम में विद्या ग्रहण व रुकमणि विवाह की सुंदर झांकी की प्रस्तुति हुई।
पॉजिटिव- आज आपकी प्रतिभा और व्यक्तित्व खुलकर लोगों के सामने आएंगे और आप अपने कार्यों को बेहतरीन तरीके से संपन्न करेंगे। आपके विरोधी आपके समक्ष टिक नहीं पाएंगे। समाज में भी मान-सम्मान बना रहेगा। नेग...
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