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शहर के श्रीकृष्णनगर स्थित मंगलायतन मंदिर परिसर में मंगलवार को कथावाचक आचार्य रामप्रवेश दासजी महाराज ने श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ की शुरूआत गजेंद्र मोक्ष से की। उन्होंने कहा कि गजेंद्र नामक एक हाथी था। उसे हजारों हाथियों के बल प्राप्त थे। अपार बल पाकर वह अहंकारी हो गया। वह अपने से छोटे जीवों को परेशान करने लगा। एक दिन वह सरोबर में पानी पीने गया। इस बीच सरोबर में रहने वाला ग्राह(मगरमच्छ) ने गजेंद्र का पैर पकड़ लिया। भगवान ने पहुंचकर उसकी जान बचाई। इसलिए कभी भी बल, धन, पद, प्रतिष्ठा पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए।
कथावाचक ने समुद्र मंथन प्रसंग की चर्चा की
दूसरे प्रसंग में कथावाचक ने समुद्र मंथन प्रसंग की चर्चा की। चौदह रत्नों के साथ अमृत की प्राप्ति के लिए देवता व दैत्यों के बीच समझौता हुआ। लेकिन, अमृत प्राप्ति के बाद दैत्यों ने कलश ले लिया। इसके बाद दोनों में घोर युद्ध हुआ। इस बीच भगवान मोहिनी रूप में पहुंचकर दैत्यों से कलश लेकर देवताओं को अमृत पिला दिया। इस प्रकार दैत्यों को अमृत प्राप्ति नहीं हुई। उन्होंने कहा कि दुष्टों से समझौता करना अच्छा नहीं होता। समय आने पर वह अपनी दुष्टता नहीं छोड़ते। इस कड़ी में उन्होंने नवम स्कंद के श्रीराम कथा में रामवन गमन, भरत मिलाप, रावण वध आदि प्रसंगों की चर्चा की। कथा में कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। भगवान श्रीकृष्ण की मनोरम झांकी प्रस्तुत की गई।
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