गायघाट इलाके की एक किशोरी दुष्कर्म के कारण मां बन गई। थाने में दौड़ने के बाद भी जब पुलिस ने मामले की एफआईआर दर्ज नहीं की। वह गाेद में बच्चे काे लिए एसएसपी जयंत कांत के कार्यालय पहुंची। फिर गायघाट थाने में उसके बयान पर शनिवार काे एफआईआर ली गई।
पीड़िता ने पंचायत के पूर्व मुखिया मनाेज सहनी समेत 5 काे नामजद किया है। सभी आरोपी फरार है। गाेद में बच्चे काे लेकर ही किशोरी शनिवार काे पुलिस के साथ काेर्ट पहुंची। हालांकि, बयान अब सेामवार काे दर्ज किया जाएगा। इससे पहले एसकेएमसीएच में उसकी मेडिकल जांच कराई गई। उधर, पुलिस ने एक आरोपी कंचन सहनी की मां काे हिरासत में लिया है।
पिछले साल 20 अक्टूबर को आवासीय प्रमाण पत्र का आवेदन लेकर पहुंची थी आरोपी के घर
किशाेरी का आरोप है कि वह पिछले साल 20 अक्टूबर काे आवासीय प्रमाण पत्र के लिए अनुशंसा कराने मनाेज सहनी के घर गई थी। वहां से कंचन सहनी, पूर्व मुखिया मनाेज सहनी और अन्य चार लाेगाें ने उसका अपहरण कर लिया। उस समय परिजन अपहरण का मामला दर्ज कराने थाने गए। उन्हें बिना केस लिए लाैटा दिया गया। तब तक दाेनाें आरोपित ने अलग-अलग जगहों पर घर में बंद रख बलात्कार किया।
धमकी दी कि केस किया ताे जान से मार देंगे। वह गर्भवती हाे गई। इस साल 15 अगस्त काे बच्चा हुआ। फिर वह आरोपियों के यहां पहुंची, ताे सभी ने मारपीट कर भगा दिया। कंचन सहनी के पिता और घर के लाेगाें ने केस करने पर तेजाब से नहला देने की धमकी दी। किशोरी का यह भी आरोप है कि गायघाट थाने में इन लाेगाें की पकड़ की वजह से केस नहीं लिया गया। अंतत: वह एसएसपी के दरबार में पहुंची।
उधर, गायघाट थानेदार नरेंद्र कुमार ने बताया कि कंचन सहनी, मनोज सहनी (पूर्व मुखिया), राम कृपाल सहनी, सोनु सहनी और कंचन की मां शैल देवी काे नामजद आरोपी बनाया गया है। सभी एक ही गांव के हैं। लड़की काे मुंबई ले जाया गया था। मामले की जांच का जिम्मा अशोक शर्मा काे दिया गया है।
किशोरी काे इंसाफ मिलेगा : एसएसपी
भास्कर प्रश्न : नष्ट कर दिए हों सबूत तो...
Q. जब पुलिस-प्रशासन की नीति जीराे टॉलरेंस की है, तब भी अपहरण कर दुष्कर्म जैसे जघन्य आपराधिक मामलों में साल भर क्याें नहीं हाे पाती एफआईआर?
Q. क्या पुलिस अपराधियों से डरती है? यदि नहीं डरती, ताे अपहरण के बाद परिजनों के आवेदन पर अक्टूबर 2020 में क्याें नहीं लिया संज्ञान और नहीं की कार्रवाई?
Q. क्या ऐसे में अपराधियों का दुस्साहस और नहीं बढ़ेगा? इतनी अवधि में यदि आरोपितों ने सबूत नष्ट कर दिए हाें, ताे क्या पीड़िता काे न्याय मिल सकेगा?
Q. यदि ऐसे मामलों में भी पीड़ित पक्ष का एसएसपी या बड़े पुलिस अिधकारियों तक पहंुचने के बाद ही कार्रवाई होगी तो स्थानीय पुलिस की जरूरत ही क्या रह जाएगी?
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