मुजफ्फरपुर स्थित जुरन छपरा आई हॉस्पिटल कांड के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अन्य अस्पतालों के भी ब्योरा मांगा था। इसमें एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल का एग्रीमेंट मार्च में ही समाप्त हो चुका था। वहीं विश्वस्ति इपिलिप्सी मिशन सेवाश्रम का भी अनुबंध 2 अक्टूबर को समाप्त हो चुका है। बावजूद इसके यहां भी मरीजों का इलाज चल रहा है। अब तक एग्रीमेंट आगे नहीं बढ़ाया गया है और न ही सिविल सर्जन को इसकी जानकारी दी गयी है।
वहीं अन्य हॉस्पिटल जिसमें सुनैना मेमोरियल आई हॉस्पिटल का 5 फरवरी 2022 तक और कुमार फाउंडेशन के 2 अक्टूबर 2023 तक अनुबंध हैं। इन चार हॉस्पिटल में अप्रैल-अक्टूबर तक 10 हज़ार 956 मरीजों की आंखों का ऑपरेशन किया गया है। बता दें कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन का जिले में मासिक लक्ष्य 3000 रखा गया है। जिसके अनुसार इन चारों अस्पताल में लक्ष्य के अनुरूप कार्य किया गया है।
इस वित्तीय वर्ष में अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जिले को 62 लाख 76 हज़ार 763 रुपये की राशि दी गयी थी। जिसमें से अब तक अस्पतालों को 25 लाख 21 हज़ार 773 रुपये को दिए जीएम शेष राशि विभाग के पास जमा है।
23 दिन बाद भी प्राइवेट हॉस्पिटल के चक्कर काट रहे मरीज
आंखफोड़वा कांड को 23 दिन बीत चुके हैं। लेकिन, अब तक मरीजों के लिए सरकारी स्तर पर इलाज की कोई व्यवस्था नहीं कि गयी है। मरीज प्राइवेट हॉस्पिटल के चक्कर काट रहे हैं। सदर अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर बनने का रास्ता तो साफ हो गया है। लेकिन, ये कब बनेगा। यह कहना मुश्किल है। अब तक सिर्फ कागज़ ही इधर से उधर हो रहा है। बता दें कि सदर अस्पताल में 2010 से मोतियाबिंद का ऑपरेशन बन्द है।
16 मरीजों की निकालनी पड़ी थी आंखे
बता दें कि 22 नवंबर को मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में 65 लोगों की आंखों का ऑपरेशन किया गया था। जिसमें से 16 लोगों को इन्फेक्शन के बाद आंखें निकालनी पड़ी। वहीं 25 लोगों की आंखों में संक्रमण हो गया। जिनका इलाज IGMS पटना यह SKMCH में चल रहा है। मामले ने तूल पकड़ा तो जांच हुई और FIR भी दर्ज हुआ। जांच में पता लगा कि OT का दो टेबल संक्रमण था। जिससे मरीजों को इन्फेक्शन हुआ था। इसके बाद आई हॉस्पिटल को सील कर दिया गया था। लेकिन, दोषियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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