बिहार की 8.25 लाख समेत देश की 10.33 कराेड़ आबादी को आनुवंंशिकता से हाेने वाली सिकल सेल जनित बीमारियाें से नेशनल सिकल सेल मिशन बचाएगा। इसकाे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी याेजना तैयार की है। मंत्रालय ने अगले तीन वित्तीय वर्षाें का नेशनल एक्शन प्लान बनाया है। सिकल सेल की बीमारियों से जुड़े आंकड़ों के एनालिसिस के लिए केंद्रीय स्तर पर एक डाटाबेस तैयार होगा।
इसके लिए पोर्टल लॉन्च किया गया है। इसके तहत गर्भ में पल रहे शिशुओं काे माता-पिता की आनुवंंशिक बीमारियाें से बचाया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव विशाल चौहान ने सभी राज्यों को गाइडलाइन भेजी है। वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 17 राज्यों की 7 करोड़ आबादी को भी इस दायरे में लाने की योजना है।
सिकल सेल संबंधी बीमारियों से सबसे अधिक छत्तीसगढ़ में 2 करोड़ 55 लाख 40 हजार 192 लोग पीड़ित हैं। दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश है। यहां 1 करोड़ 53 लाख 16 हजार 784 लोग, तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र में 1 करोड़ 1 लाख 87 हजार 100 लोग पीड़ित हैं। सबसे कम उत्तर प्रदेश के 3 लाख 56 हजार 923 लोग इस बीमारी की चपेट में हैं।
इस मिशन के तहत एम्स, आईसीएमआर और केंद्र-राज्य सरकार की संस्थाएं मिलकर बीमारी के उन्मूलन पर काम करेंगी। बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने राज्य के सभी डीएम और सिविल सर्जन को कमेटी का गठन कर कार्य शुरू करने का निर्देश दिया है।
सिकल सेल से जुड़ी बीमारी...खून की कमी-सांस फूलती है
खून में उपलब्ध आरबीसी (लाल रक्त कोशिका) में संक्रमण के कारण सेल टूटने लगते हैं। इससे शरीर में खून की कमी और सांस फूलने लगती है। लगातार ऐसी समस्या आने पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इससे चक्कर आना, उल्टी से लेकर चेहरा पीला पड़ने लगता है। एक्सपर्ट डॉ. हसीब असगर ने बताया कि गर्भ में पल रहे बच्चों की शुरुआती दौर में ही जांच कर उन्हें इससे बचाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर गठित हो रहे सिकल सेल मिशन इसमें कारगर साबित होगा।
जिला स्तर पर नौ सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष डीएम होंगे
जिला स्तर पर 9 सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष डीएम होंगे। विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में स्थानीय सांसद को भी शामिल किया जाएगा। प्रखंड स्तरीय पर 6 सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष पीएचसी प्रभारी होंगे।
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