मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल की व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। यहां पर दो-दो नेत्र विशेषज्ञ तो हैं, लेकिन ऑपेरशन थियेटर नहीं होने के कारण मरीज का इलाज नहीं हो पा रहा है। इससे मरीजों को निजी हॉस्पिटल के चक्कर लगाना पड़ता है। सरकारी स्तर पर आंख इलाज को लेकर मरीज के इलाज का पुख्ता इंतजाम नहीं है। इसके कारण मरीज को निजी अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है।
यहां पर दो विशेषज्ञ डॉक्टर डा. नीतू कुमारी व डा.वैदेही कुमारी तैनात है। यहां के विशेषज्ञ चिकित्सक मरीजों के जांच व आपरेशन के लिए जरूरी उपकरण की सूची उपाधीक्षक को सौंप रहे। लेकिन उसकी खरीदारी नही हो रही है। सदर अस्पताल के ओटी में पहुंचे कुढनी की सुमन देवी ने बताया कि यहां पर जांच कराया। लेकिन आधुनिक मशीन नहीं रहने से अब निजी अस्पताल जाना पड़ेगा। वरीय अधिकारी को इस पर विचार करने की जरूरत है।
आई बैंक के लिए 22 लाख की राशि मिली थी
विभाग के सूत्रों की माने तो आई बैक के लिए जिले में 22 लाख की राशि आई थी। सदर अस्पताल परिसर में पर्याप्त जगह रहने के बावजूद यहां निर्माण नहीं हुआ। उसके बाद यह राशि मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल के पास गया। लेकिन वहां से भी राशि वापस चली गई। SKMCH के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. MK मिश्रा ने बताया कि जब वह और वरीय चिकित्सक डॉ. BS झा सदर अस्पताल में अपनी सेवा दे रहे थे तो उस समय यानी 2010 में 60 मरीज का आपरेशन किया गया। उसके बाद से वहां पर ऑपरेशन नहीं हुआ। OT की पहल हुई लेकिन वह भी चालू नहीं हो पाया।
आई बैंक तो बना पर चालू नहीं हुआ
SKMCH में 2020 से मुजफ्फरपुर में आई बैंक बनकर तैयार है। लेकिन वह चालू नहीं हो पाया है। बताया जा रहा है कि मानव संसाधन की कमी से वह चालू नहीं हो रहा है। ट्रांसप्लाट कोडिनेटर, उसके साथ पांच चक्षू सहायक, पांच सहयोगी की जरूरत है। इसके कारण एक साल से वहां काम नहीं हो रहा है। अगर आई बैंक चालू हो जाए तो सारण, तिरहुत व दरभंगा प्रमंडल वासियों को लाभ मिलेगा।
ये सुविधाएं मिलेंगी
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