हर दूसरे दिन शहर में साइबर फ्राॅड के शातिर किसी न किसी के खाते से लाखाें रुपए उड़ा ले रहा है। कई मामलाें में खाता धारक की भी गलती हाेती है। वह शातिराें के जाल में फंसकर ओटीपी और खाते की अन्य डिटेल बता देते हैं, लेकिन जिस नंबर से काॅल किया जाता है, उसका सुराग तक पुलिस नहीं ढूंढ़ पाती। यहां तक कि खाते से दूसरे खाते में राशि स्थानांतरण हाेने पर भी पुलिस छानबीन में शिथिल पड़ जाती है।
जबकि माेबाइल धारक और खाता धारक का पता लगा लेना पुलिस के लिए आसान है। साइबर सेल और सर्विलांस सेल हर माह कराेड़ाें का फ्राॅड करने वाले इस रैकेट पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। नतीजतन थाने में दर्ज पुराने कांडाें काे सत्य सूत्रहीन बताकर पुलिस न्यायालय में फाइनल रिपाेर्ट दाखिल कर रही है।
केस-1. फ्रॉड ने पेंशन खाते से लिया 4.55 लाख रुपए का लाेन
सरैया के बहिलवारा निवासी आर्मी से रिटायर्ड सूबेदार अनिरुद्ध कुमार हिसार से रिटायर्ड हुए थे। उनका पेंशन खाता एसबीआई हिसार में ही है। तीन मार्च काे उन्हें फाेन आया। काॅल करने वाले राहुल ने खुद काे विवि एसबीआई शाखा का कर्मी बताया। उन्हें एक चेक का वेरिफिकेशन करने का झासा देकर माेबाइल पर आया ओटीपी ले लिया।
इसके बाद एक खाते से 19 हजार रुपए निकासी कर ली। पेंशन खाते से 4.55 लाख रुपए का लाेन भी ले लिया। उन्हें आशंका है कि हिसार बैंक के कर्मचारी साइबर अपराधियाें से मिला हाेगा, तभी बगैर किसी वेरिफिकेशन के ही लाेन दे दिया।
केस-2. फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़ निकाल लिए 10 लाख
नगर थाने के सिकंदरपुर स्थित प्रिसिजन इंजीनियरिंग एंड थर्मल कांपाेनेंट्स (लोहा फैक्ट्री) के रिटायर्ड इंजीनियर ब्रह्मेश्वर सिंह काे काॅल कर साइबर फ्राॅड के शातिर ने खाते से संबंधित जानकारी व ओटीपी ले लिया। फिर, उनके नाम के आधा दर्जन फिक्स्ड डिपाॅजिट काे तोड़कर खाते से 10 लाख रुपए उड़ा लिए।
इसे लेकर ब्रह्मेश्वर ने नगर थाने में एफआईआर कराई है। थानेदार ने मामले में जांच की जिम्मेदारी 2009 बैच के सब इंस्पेक्टर राजपत कुमार को दी थी, लेकिन अब तक केस में पुलिस ने एफआईआर से आगे कार्रवाई नहीं की।
केस-3. एटीएम फ्राॅड काे जेल भेज चुप बैठ गई पुलिस
सकरा थाने के मालपुर चक हजरत निवासी सुरेंद्र कुमार का कार्ड बदलकर फ्राॅड कर रहे मीनापुर के पानापुर ओपी के बड़ा भारती गांव के संयोग कुमार काे पकड़ा गया था। उसके पास से सुरेंद्र कुमार के एटीएम कार्ड के अलावे 12 अन्य कार्ड जब्त हुए थे।
उसने साइबर फ्राॅड गैंग में शामिल अपने साथियाें का नाम विकास सहनी, चंदन सहनी, हरप्रीत कुमार और अनोज कुमार आदि बताया था। हालांकि, नगर थाने की पुलिस केवल संयाेग काे जेल भेजकर बैठ गई। अब तक उसके अन्य साथियाें काे पकड़ने के लिए मीनापुर के पानापुर इलाके में छापेमारी नहीं की गई है।
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