मुजफ्फरपुर के अहियापुर से ट्रेवल एजेंसी संचालक राजीव के बेटे रॉकी के अपहरण की खबर मिलते ही पुलिस महकमे में खलबली मच गई थी। SSP ने 'ऑपरेशन रॉकी' के लिए टीम बनाई और हर हाल में बच्चे को सकुशल बरामद करने का निर्देश दिया। 48 घन्टे तक चली मैराथन भागदौड़ के बीच 15 सदस्यीय टीम में शामिल कोई भी पदाधिकारी सोया नहीं था। रात-दिन एक कर बच्चे को बरामद करने के पीछे पड़े थे। जब शुक्रवार को अपहरणकर्ता का लोकेशन छपरा में मिला तो थोड़ी राहत की सांस जरूर ली थी। लेकिन, जब DIU टीम के पुलिस अफसर छपरा जाने के लिए निकले तो रास्ते मे बोलेरो दुर्घटनाग्रस्त हो गयी।
हादसा भी ऐसा वैसा नहीं था। ड्राइवर के तरफ से अगला हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। उसी साइड से पीछे का टायर खुलकर दूर जा गिरा। लेकिन, इसे संयोग ही कहेंगे या अच्छी किस्मत की उसमे सवार एक भी पदाधिकारी गंभीर रूप से घायल नहीं हुए। सभी को आंशिक चोट आई। फिर वहां से दूसरी गाड़ी का इंतजाम कर छपरा पहुंचे। हालांकि वहां पहले से एक टीम मौजूद थी। उक्त घटना की जानकारी सूत्रों के माध्यम से मिली है। बताया जा रहा है कि सामने से एक स्विफ्ट डिजायर कार आ रही थी। जिसने बोलेरो में जोरदार टक्कर मार दी। हालांकि इस हादसे में किसी प्रकार की हताहत नहीं हुई।
चुनाव के कारण नेपाल नहीं जा सके अपहरणकर्ता
बच्चे का अपहरण करने के बाद अपहरणकर्ता उसे लेकर नेपाल गए थे। 24 घन्टे तक वहां घूमने के बाद बॉर्डर पार कर इस तरफ आ गए। फिर वहीं छिपे रहे। शुक्रवार को फिर नेपाल जाने की तैयारी थी। लेकिन, वहां पर हो रहे निकाय चुनाव के कारण बॉर्डर पार नहीं कर पाए। वहां से लौटकर गायघाट पहुँचे। फिर वहां से राजीव को कॉल कर फिरौती की रकम तैयार रखने को कहा। लेकिन, कुछ देर रुकने के बाद गायघाट से निकलकर छपरा पहुंच गए।
CCTV फुटेज से मिली थी जानकारी
बच्चे का अपहरण होने के बाद पुलिस ने कई जगहों पर लगे CCTV के फुटेज को खंगाला था। इस दौरान घर से कुछ दूरी पर ही एक दुकान में लगे कैमरे में बच्चे और अपहरणकर्ता को देखा गया। पुलिस ने बच्चे के पिता को फुटेज दिखाकर पहचान कराई। उन्होंने झट से पहचान लिया कि ये सरोज है। जो रॉकी का मुंहबोला मामा लगता है। यही से ऑपरेशन रॉकी शुरू हो गया और लगातार 48 घन्टे तक कार्रवाई चली। तब जाकर बच्चे को सकुशल बरामद किया गया।
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