मुजफ्फरपुर आंखफोड़वा कांड की गुत्थी सुलझ गई है। जिला स्तरीय 4 सदस्यीय टीम ने सोमवार को CS डॉ. विनय कुमार शर्मा को जांच रिपोर्ट सौंप दी। इसमें स्पष्ट रूप से बताया गया कि आई हॉस्पिटल का ऑपरेशन थिएटर संक्रमित था। जांच में दो प्रकार के जीवाणु मिले हैं, जो टेबल पर पाए गए थे। उसी टेबल पर मरीजों का ऑपरेशन हुआ था। इससे ये जीवाणु उनकी आंखों तक पहुंचे। इसकी जानकारी CS ने दी।
उन्होंने बताया, 'दोनों जीवाणुओं का नाम स्यूडोमोनास (Pseudomonas) और स्टेफाइलोकोकस (Staphylococcus) है। ये दोनों काफी खतरनाक होते हैं और एक से दो दिनों में मरीजों को बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं।' CS ने कहा, 'जांच से पूरी टीम काफी संतुष्ट है। इसे मुख्यालय भेजने की पहल की जा रही है।'
वहीं, ACMO ने बताया, 'दवा या RL संक्रमित नहीं था। सिर्फ OT का टेबल संक्रमित पाया गया है। इसमें सिर्फ स्टरलाइजेशन (साफ-सफाई) की कमी थी। जिससे यह संक्रमण फैला। जबकि, 22 नवंबर के बाद जो भी ऑपरेशन हुए, उन मरीजों से कोई शिकायत नहीं मिली है। वह सभी पूरी तरह से स्वस्थ हैं।'
मरीजों की आंखों में भी मिले दोनों जीवाणु
CS ने बताया, 'जिन मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी है। उनका भी स्वॉब जांच के लिए भेजा गया था। उसमें भी दोनों प्रकार के जीवाणु पाए गए हैं। संदेह के आधार पर अन्य सभी वस्तुओं की जांच कराई गई, लेकिन अन्य किसी में जीवाणु या संक्रमण नहीं पाया गया।'
दोषियों पर की जाएगी कार्रवाई
जब ACMO से पूछा गया कि क्या इसमें डॉक्टरों पर कार्रवाई होगी? इस पर उन्होंने कहा, 'यह टेक्निकल चीज है। एक-एक बिंदु पर जांच की जा रही है। जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।' हालांकि, राज्य स्तरीय टीम ने कहा था, 'डॉक्टरों की चूक के कारण मरीजों की ऐसी हालत हुई है।'
बंद कमरे में खोली गई रिपोर्ट
सोमवार को जांच सदस्यीय टीम सिविल सर्जन कार्यालय पहुंची। कुछ देर बाद ब्रह्मपुरा थानेदार अनिल गुप्ता को भी बुलाया गया। करीब दो घंटे से अधिक तक टीम बंद कमरे में मंथन करती रही। इस दौरान बाहरी किसी व्यक्ति या मीडिया कर्मी के अंदर जाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी। पूरा मंथन करने के बाद सभी बाहर निकले। इसके बाद सिविल सर्जन और ACMO ने बयान जारी कर यह जानकारी दी।
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