मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल प्रबंधन अब पूरी तरह इस आंखफोड़वा कांड के गोरखधंधे में फंसता हुआ दिख रहा है। तीन दिन बीतने के बाद जब सिविल सर्जन ने कड़ी फटकार लगाई, तब जाकर 65 मरीजों के इलाज की डिटेल्स दी गई। इससे साफ पता लगता है कि फंडिंग के लालच में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया गया है।
इधर, पटना से आई राज्यस्तरीय टीम ने CS डॉ. विनय कुमार शर्मा के साथ बैठक की। टीम में शामिल वरीय अधिकारी डॉ. हर्षवर्धन ओझा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई कि आखिर तीन दिन तक क्यों आंकड़े को दबाकर रखा गया। मरीजों को दी गई दवा से वे सन्तुष्ट दिखे।
इसके बाद उन्होंने आई हॉस्पिटल पहुंचकर जायजा लिया। यहां सब कुछ बंद मिला। गार्ड से पूछताछ की। लेकिन, उसने कोई जानकारी नहीं दी। इसके बाद वो लोग यहां पर भी बैठक कर रहे हैं। गार्ड को फौरन सचिव दिलीप जालान को बुलाने को कहा गया है।
अब आउटडोर भी बंद, गायब हुए सचिव और कर्मचारी
आई हॉस्पिटल का आउटडोर भी आज पूरी तरह बंद हो गया। पूरा हॉस्पिटल खाली हो गया। सिर्फ दो गार्ड मौजूद हैं। यहां जितने भी मरीज भर्ती थे, सभी को SKMCH भेज दिया गया। हॉस्पिटल में पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है। जो मरीज आ रहे हैं, उन्हें गार्ड बाहर से ही भेज दे रहा है।
FIR दर्ज, पूरा अस्पताल प्रबंधन आरोपी
इधर, सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा के बयान पर ब्रह्मपुरा थाना में FIR दर्ज करवाई गई है। टाउन DSP रामनरेश पासवान और थानेदार अनिल गुप्ता सदर अस्पताल पहुंचे। सिविल सर्जन से जानकारी ली। उसी आधार पर आवेदन तैयार कर FIR दर्ज किया गया। इसमें पूरे अस्पताल प्रबंधन को आरोपी बनाया गया है। साथ ही जांच और ऑपरेशन में लापरवाही बरतने की बात बताई गई है।
अस्पताल के डॉक्टर और सचिव समेत सभी कर्मचारी गायब
इधर, FIR दर्ज होने की भनक मिलते ही हॉस्पिटल के सभी डॉक्टर और सचिव दिलीप कुमार जालान गायब हो गए। अस्पताल कर्मी भी नहीं हैं। सचिव के चैंबर में ताला लटक रहा है। गार्ड भी किसी के बारे में जानकारी नहीं दे रहे हैं। सिविल सर्जन ने जब पूछा कि सचिव कहां हैं, तो गार्ड ने कहा कि उनका घर सरैयागंज है। वहीं पर रहते हैं। जब बुलाने को कहा गया तो टालमटोल करने लगा।
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