मुजफ्फरपुर के डॉक्टर एसपी सिंह के इकलौते बेटे विवेक को बरामद करने में पुलिस टीम को स्कॉर्पियो में लगे स्टाइलिश नंबर प्लेट से अहम सुराग मिला था। बताया जाता है कि जब विवेक को उठाया गया था तो पुलिस इलाके की सीसीटीवी खंगाल रही थी। इसमें विवेक के पीछे एक स्कॉर्पियो धीमी गति में चलते दिखाई दे रही थी। हालांकि, उसमे लगे स्टाइलिश नंबर प्लेट को देखा गया था। जिसके बाद हाईवे पर लगे टोल नाकों पर सीसीटीवी फुटेज की जांच पुलिस ने शुरू कर दी थी।
इसी बीच सरैया टोल टैक्स पर एक स्टाइलिश नंबर प्लेट की स्कॉर्पियो जाती दिखी थी। उसका नंबर पुलिस ने पता किया। उसके मालिक का स्त्यापन किया गया। मालिक का पता लगने के बाद पुलिस उसके पास पहुंची। जहा स्कॉर्पियो के मालिक ने बताया कि उनका ड्राइवर भाड़े पर गाड़ी लेकर गया है। वहीं से पुलिस को अहम सुराग मिल गया।
इसके बाद पुलिस भोजपुर पहुंच गई। वहा से विवेक को मुक्त कराया गया और भोजपुर के शातिर अमृत सत्यम, राधेश्याम कुमार, चंदन कुमार और अरवल निवासी आदित्य कुमार उर्फ रवि को गिरफ्तार किया गया।
किराएदार ने ही कराया था किडनैप
रवि डॉक्टर के मकान में किराए पर रहता था। इससे पहले वह भोजपुर में भी था। वहा उससे सत्यम से संपर्क हुआ। वहा से वह डॉक्टर के मकान में किराए पर रहने लगा। इसी बीच उसने एक बैंक से डेढ़ लाख रुपए लोन लिए थे। उसी का रुपए चुकाने को लेकर उसने विवेक की किडनैपिंग की साजिश रची थी। उसे अपनी शादी की बात तय होने की बोलकर पार्टी में बुलाया। जहां रास्ते में पहले से अपराधी उसका इंतजार कर रहे थे। उसके आते ही उसे जबरन स्कॉर्पियो में बैठाया गया।
फिर, इंजेक्शन देकर बेहोश किया गया। मुजफ्फरपुर से लेकर उसे भोजपुर के एक सुनसान इलाके में रखा गया था। इसी बीच जांच में पुलिस को रवि पर शक हुआ तो उसे पकड़ा गया। उसने स्वीकार किया था कि उसने ही साजिश रची थी। लाइनर का काम किया। ताकि, किसी को शक नही हो। सत्यम इससे पहले रेकी के लिए पहुंचा था। जिसके बाद घटना को अंजाम दिया गया है।
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