आई हॉस्पिटल प्रबंधन की मनमानी कहिए या लापरवाही अब भी जारी है। 65 लोगों की आंख की रोशनी चली जाने की जांच के लिए मंगलवार काे स्वास्थ्य विभाग की टीम अस्पताल पहुंची थी। जांच टीम के सामने पहुंच कुछ लाेगाें ने हंगामा शुरू कर दिया। पता चला इनमें कुछ राेगी हैं, ताे कई रागियाें के परिजन। बातचीत करने पर पता चला कि आई हॉस्पिटल प्रबंधन ने 24 लोगों को ऑपरेशन के लिए एक कमरे में बंद कर रखा था।
वैशाली, मोतिहारी, सीवान, सीतामढ़ी, शिवहर, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर आदि जिलों के इन 24 लोगों की आंख में ऑपरेशन से पहले दी जाने वाली दवा डाली जा चुकी थी। कुछ आवश्यक दवा भी खिला दी गईं थीं। लेकिन, इस बीच जांच टीम पहुंच गई। सर्जरी में देर होने पर मरीज के परिजनों ने प्रबंधन से इसका कारण पूछा। प्रबंधन के लोग टालमटोल करते रहे। टीम के पहुंचने की भनक लगते ही राेगी और परिजन बेकाबू हाे गए। वहां पहुंच हंगामा किया। कहने लगे- आंख में दवा डाल दी गई है। ऑपरेशन नहीं होने से जान काे खतरा हाेगा।
बाद में एसीएमओ डाॅ. सुभाष प्रसाद सिंह ने लोगों को शांत कराया। कहा- ऑपरेशन पर रोक लगा दी गई है। इस बीच एक मरीज के परिजन अभिमन्यु राज ने सीएस से शिकायत की। सीएस डॉ. विनय कुमार शर्मा ने अस्पताल प्रबंधन को निर्देश देकर सभी 24 मरीजों काे एंबुलेंस से एसकेएमसीएच भिजवाया।
पीड़ा लेकर पहुंचे 7 मरीजों को भेजा मेडिकल
स्वास्थ विभाग की टीम के पहुंचने की सूचना पर 22 नवंबर को ऑपरेशन कराए लोगों में से 7 आई हॉस्पिटल पहुंचे। सभी की मेडिकल कॉलेज और सदर अस्पताल के चिकित्सकों ने जांच की। इनकी सर्जरी वाली अांख में कारनिओमेन्ट हो चुका था। रेटिना डेड होने से आंख गल कर बह गई। अब पूरी तरह नहीं निकाले जाने से जान तक जा सकती है। लिहाजा, बुधवार को सभी की आंख निकाली जाएगी। एसकेएमसीएच अधीक्षक ने सभी काे बेड उपलब्ध कराया। इधर, मंगलवार को भी तीन लोगों की आंख निकाली गई। इससे पहले 9 लोगों की आंख निकाली जा चुकी है।
एक हजार से 16500 तक चार्ज
आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के नि:शुल्क ऑपरेशन के नाम पर मरीजों से मोटी रकम लेने का मामला भी जांच टीम के समक्ष आया। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन के अनुसार रविवार चिह्नित मरीजों का ऑपरेशन सोमवार को मात्र 30 रुपए रजिस्ट्रेशन लेकर होता है। एक हजार, चार हजार, 10 हजार और 16 हजार 500 रुपए तक लेकर अन्य मरीजों का ऑपरेशन हाेता है। मरीज और उनके परिजनों ने जांच टीम को बताया कि अस्पताल में न चिकित्सक हैं, न ही अन्य सुविधा।
कोर्ट व मानवाधिकार आयोग से शिकायत
इस पूरे प्रकरण की शिकायत पटना हाईकोर्ट, राज्य और केंद्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गई है। आरटीआई एक्टिविस्ट अधिवक्ता एसके झा ने हाईकोर्ट और मानवाधिकार आयोग को शिकायती पत्र भेजा है।
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