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जलस्रोत बंद होने से जमुआरी नदी ने नाला का रूप धारण कर लिया है। नदी में पानी नहीं रहने के कारण समस्तीपुर के अलावा ताजपुर, मोरवा, पूसा, कल्याणपुर व सरायरंजन प्रखंडों के छोटे बड़े करीब तीन लाख से अधिक किसानों के खेतों की सिंचाई वर्षा के भरोसे है। किसान महंगाई के कारण निजी पंप से सिंचाई नहीं कर पाते हैं। जिला परिषद का कार्यकाल खत्म हो रहा है लेकिन जिप द्वारा बनाई गई योजना पर अबतक कार्य नहीं हो पाया है। नदी से गाध सफाई की योजना विभाग में धूल फांक रही है।
जबकि योजना के पूर्ण होने पर खेताें को पानी मिलता तो पैदावार बढ़ती। जिससे किसानों के विकास के द्वार खुलते। जिला परिषद अध्यक्ष प्रेमलता ने कहा कि योजना के लिए विभाग को फिर से पत्राचार किया गया है। करीब दो साल पहले नदी से गाध की सफाई व जलस्रोत की बाधाओं को दूर करने के लिए जिला परिषद ने प्रस्ताव पास किया था। इसके लिए लघु सिंचाई विभाग को जिम्मेवारी दी गई थी। इस कार्य के लिए जिला स्तर पर एक योजना बनाकर स्वीकृति के लिए विभाग को भेजा गया था। लेकिन संचिका विभाग में धूल चाट रही है। जिला स्तर पर एक टीम का भी गठन किया गया था।
60 किलोमीटर लंबाई और 150 मीटर है जमुआरी नदी की चौड़ाई
चार दशक पूर्व नदी में हमेशा रहता था पानी
पूसा के किसान व जिप सदस्य संजय कुमार सिंह बताते हैं नदी के बीचोंबीच बहाववाली जमीन सरकारी एवं गैरमजरूआ है, जबकि नदी के दोनों किनारे की जमीन रैयती है। चार दशक पूर्व इस नदी में अक्सर पानी दिखता था, पर धीरे-धीरे मिट्टी के भर जाने से यह नदी उथरी होती गई। रही-सही कसर इसके उद्गम स्थल पर स्लुइस गेट के द्वारा बंद कर जल प्रवाह को रोक दिया गया। नतीजतन बूढ़ी गंडक से जल प्रवाह के रूक जाने से पूरी तरह बरसाती नदी बन गई।
दो वर्ष पूर्व नदी के गाध की उड़ाही के लिए जिलापरिषद के प्रस्ताव पर लघु सिचाई विभाग ने एक योजना बनाकर विभाग को भेजा था। लेकिन इस पर विभागीय स्तर पर कोई कार्य नहीं किया गया है। योजना को स्वीकृति मिले तो लाखों किसानों को लाभ मिलेगा।
प्रेमलता, जिला परिषद सदस्य
जहांगीरपुर के पास बूढ़ी गंडक नदी से निकली है जमुआरी
जमुआरी नदी मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड के जहांगीरपुर से निकल कर समस्तीपुर जिले के पूसा, ताजपुर, मोरवा व सरायरंजन प्रखंड से होकर गुजरती है। उत्तर दिशा में सकरा प्रखंड के जहांगीरपुर चौर के पास बूढ़ी गंडक से निकलकर दक्षिण दिशा में सरायरंजन प्रखंड अरमौली गांव स्थित नून व बलान नदी में जाकर मिलती है। इस नदी की लम्बाई करीब 60 किलोमीटर व चौड़ाई करीब डेढ़ सौ मीटर है। कहा जाता है आज से चार दशक पूर्व यह नदी उक्त पांचों प्रखंडों में सिंचाई की रीढ़ थी। बूढ़ी गंडक से आवश्यक जल वितरण होता था, जो इसके बहाव के पूरे क्षेत्र में हजारों एकड़ जमीन को सींचता था।
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