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जिले में बिजली विभाग के द्वारा बिजली बकायेदारों के साथ दोहरी नीति अपनाई जा रही है। जहां बिजली विभाग के द्वारा सरकारी कार्यालयों को छह सालों से बिजली बिल बकाया में राहत दी जा रही है, वहीं आम उपभोक्ताओं के निजी आवासों में लगे बिजली कनेक्शन को मात्र छह महीने में ही काटा जा रहा है। अकेले नगर विभाग पर लगभग दो करोड़ 50 लाख रुपए का बकाया है। नगर विभाग पर यह बकाया शहर में जलने वाली स्ट्रीट लाइटों व पटेल मैदान में जलने वाली मास्क लाइटों का है।
वहीं सदर अस्पताल समस्तीपुर पर बिजली विभाग का करीब 55 लाख रुपए का बकाया है, तो डीडीसी कार्यालय पर बिजली विभाग का लगभग 83 लाख रुपए का बकाया है। डीडीसी कार्यालय के द्वारा साल 2015 के बाद से बिजली बिल का भुगतान नहीं किया गया है। जिसको लेकर बिजली विभाग के द्वारा कई बार पत्राचार भी किया गया। जिसके जवाब में संबंधित सरकारी कार्यालयों के द्वारा हर बार एलॉटमेंट नहीं होने का हवाला देकर कहा जाता है कि एलॉटमेंट आने के बाद संबंधित बिल का भुगतान कर दिया जाएगा।
अस्पताल समस्तीपुर पर 55 लाख, तो डीडीसी कार्यालय पर 83 लाख बकाया
आम उपभोक्ताओं को नहीं मिल रही बिजली विभाग से राहत
जहां एक ओर सालों-साल से सरकारी कार्यालयों के द्वारा करोड़ों-करोड़ रुपए के बिजली बिल का भुगतान नहीं किया जा रहा है और वहीं बिजली विभाग के द्वारा उनका बिजली कनेक्शन जाता है। दूसरी ओर आम उपभोक्ताओं को बिजली विभाग से ऐसी राहत नहीं दी जा रही है। जिले में बिजली विभाग के द्वारा फरवरी माह में अब तक 10 हजारों रुपए से ज्यादा कुल 242 बिजली बकायेदार आम उपभोक्ताओं का कनेक्शन काटा गया है। वहीं दूसरी ओर कुल 265 ऐसे उपभोक्ता हैं जिन पर 50 हजार रुपए से ज्यादा का बिजली बिल बकाया है। इनमें से 55 से अधिक उपभोक्ताओं का कनेक्शन काट दिया गया।
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