जिले में पिछले दो सप्ताह से लगातार औसत से कम बारिश हो रही है। इसके कारण जहां विभिन्न स्थानों में जलजमाव में कमी आई है, वहीं नदियों के जलस्तर में भी लगातार कमी हो रही है। इधर, बाढ़ के पानी भी कम हो चुके हैं। गांवों से विस्थापित लोग भी घरों को साफ कर ऊंचे स्थानों, बांधों व सड़क किनारें से वापस होने लगे हैं। जिले के बागमती, अधवारा समूह, झीम व लालबकेया नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे हैं। इधर अधवारा समूह की रातो, धौंस, मरहा, सिंगही, लखनदेई, सिकाउ आदि नदियों का पानी भी पेटी में ही सिमटने लगा है। पिछले दो सप्ताह से हल्के के बादलों के साथ तेज निकल रहा है। जिससे मौसम का तपीश बढ़ गया है। यदा कदा हल्की फूहार हो रही है। जिससे लोगों को गर्मी से हल्की राहत मिलती है, लेकिन उमस से लोग बेचैन रहते हैं।
मौसम वैज्ञानिक रंधीर कुमार ने बताया कि अगले चार दिनों तक आसमान में बादल छाये रहेंगे तथा जिले में हल्की व मध्यम बारिश होने की संभावना है। मौसम में तपीश के कारण उमस यथावत जारी रहेगा। बुधवार को अधिकतम तापमान 36 डिग्री व न्यूनतम तापमान 26 डिग्री रहा वहीं दो दिनों के बाद बिते 24 घंटे में मात्र 0.8 एमएम बारिश हुई, जो सामान्य औसत बारिश 10 एमएम से 92 प्रतिशत कम है। मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि लगातार दो सप्ताह से बारिश की कमी रही है। जिसके कारण बार्षिक वर्षापात 3 जुलाई के 129 प्रतिशत अधिक से घट कर अब महज 83 प्रतिशत ही अधिक है। वहीं कृषि वैज्ञानिक सह नोडल पदाधिकारी डॉ. राम ईश्वर प्रसाद ने बताया कि दो सप्ताह से बारिश की कमी है। खेतों में भी पानी कम होने लगा है। पिछले माह में लगातार बारिश व बाढ़ में बिचड़ा बर्बाद हो चुका है, ऐसे में किसान खेतों मूंग व उरद को खेतों में ही पानी के साथ जोत दें तथा अगात एवं मध्यम धान की सीधी रोपनी करें। इसके लिए अभी उपयुक्त समय है।
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