जिले में सही तरीके से मिट्टी जांच हो और किसानों काे इसकर सही लाभ मिले, इसके लिए विभाग द्वारा काफी प्रयास किया जा रहा है। विगत तीन सालों से मिट्टी नमूना लेने के लिए नियमों में भी बदलाव किया गया है। पहले प्रत्येक प्रखंड के सभी राजस्व गांव से मिट्टी का नमूना लिया जाता था, इस कारण समय पर जांच नहीं हो पाती थी और खानापूर्ती बनकर रह जाती थी। लेकिन अब प्रत्येक साल सभी प्रखंडों के 5 गांव से ही नमूना लिया जाता है ताकि अगले फसल में किसान स्वायल हेल्थ कार्ड के अनुसार खेती कर सकें। इस वर्ष भी 13000 हेक्टेयर से नमूना लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए 20 मई तक समय निर्धारित किया गया है। 14 मई तक कृषि समन्वयक द्वारा मात्र 1600 नमूना लिए जाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन यह नमूना भी अभी तक जिला मिट्टी जांच प्रयोगशाला तक नहीं पहुंच पाया है। इस कारण जांचकर्मी नमूना जांच करने के बजाय रजिस्टर संधारण करने में जुटे हैं। दिनभर रजिस्टर पर पूर्व के मिट्टी जांच का रिपोर्ट अपडेट करने में जुटे रहते हैं। जबकि लक्ष्य निर्धारित होने के तुरंत बाद मिट्टी नमूना लेने से संबंधित किट सभी प्रखंड को उपलब्ध करा दिया गया था। इसके बावजूद भी प्रखंड स्तर से अनदेखी बरती जा रही है।
6 दिन में लेना होगा 11400 सैम्पल
डीएओ संजय कुमार ने बताया कि एक हेक्टेयर का एक ग्रीड होता है। इस वर्ष 13000 हेक्टेयर से मिट्टी का नमूना लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए प्रत्येक प्रखंड से 5-5 गांव को चिन्हित किया गया है। इस अनुसार एक गांव से औसतन करीब 130 हेक्टेयर में मिट्टी का नमूना लिया जाना है। इसके लिए 20 मई तक अंतिम तिथि निर्धारित की गई है लेकिन समय पूरा होने में मात्र 6 दिन बाकी है और अभी तक 1600 नमूना ही संग्रह किया गया है। यानी 6 दिन में 11400 सैम्पल लेना होगा।
चार प्रखंडों की स्थिति सबसे खराब : डीएओ ने बताया कि नमूना संग्रह करने में कुछ प्रखंड को छोड़ कर अधिकांश प्रखंडों की स्थिति दैयनीयहै। चार प्रखंड सरमेरा, चंडी, हरनौत और इसलामपुर की स्थिति काफी दैनीय है। शुक्रवार तक एक भी नमूना संग्रह नहीं किया गया था। चारों प्रखंड के बीएओ को नमूना संग्रहण कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। 20 मई तक लक्ष्य को पूरा नहीं किया गया तो कोर्डिनेटर के साथ-साथ बीएओ पर भी कार्रवाई होनी तय है।
कृषि कर्मियों को समझना होगा मिट्टी जांच का महत्व
उन्होंने कहा कि मिट्टी जांच के महत्व को जब तक अधिकारी व कर्मी नहीं समझेंगे तो किसानों को जागरूक कैसे करेंगे। क्योंकि किसानों को भी खेत पर स्वयं नमूना लेने के लिए प्रशिक्षित करने के साथ-साथ उसके महत्व के बारे जानकारी देनी है। लेकिन अभी तक जब नमूना लेने में ही अनदेखी की जा रही है तो किसानों को जानकारी कैसे देंगे।
ग्रिड सिस्टम में लिया जाना है नमूना
उन्होंने बताया कि अब ग्रिड सिस्टम से नमूना लिया जाना है। एक ग्रिड में जितने भी खेत को शामिल किया गया है उससे सभी खेत से मिट्टी का नमूना लिया जाना है और सभी मिट्टी को मिलाकर जांच किया जाएगा। ताकि पोषक तत्वों के बारे में जानकारी मिल सके। इसी आधार पर स्वायल हेल्थ कार्ड तैयार कर किसानों को दिया जाना है।
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