लोक आस्था का महापर्व चैती छठ नहाय खाय के साथ शनिवार से शुरू हो गया। छठ व्रतियों ने नदी और तालाब में स्नान कर भगवान भास्कर की पूजा अर्चना के बाद दाल कद्दू का प्रसाद बनाकर भगवान को भोग लगाया। इसके बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण किया और अपने परिवार और मित्रों को प्रसाद खिलाया। नालंदा का सूर्यनगरी बड़गांव में जिले समेत अन्य राज्य के श्रद्धालु चार दिन तक प्रवास कर छठ व्रत करते हैं। सूर्य तालाब में स्नान के बाद छठ वर्ती एवं श्रद्धालु भगवान भास्कर के मंदिर तक पहुंचते हैं।
ऐसी मान्यता है कि बड़गांव में भगवान श्री कृष्ण के पौत्र राजा शाम्य ने भगवान भास्कर की अराधना की थी। इसके कारण उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी। श्रापित होने के कारण उन्हें कुष्ट रोग हो गया था। भ्रमण के दौरान उन्होंने बड़गांव छठ घाट तालाब में स्नान कर भगवान भास्कर की पूजा अर्चना की तब उनका शरीर कंचन हो गया। तब से कार्तिक और चैत में होने वाले छठ महापर्व में लोगों की भीड़ यहां उमड़ती है। इसी तरह से औंगरी धाम में भी छठ वर्तियों ने भगवान भास्कर की पूजा अर्चना की। जिला प्रशासन द्वारा सभी छठ घाट पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
सूर्यमंदिर छठ घाट का मंत्री श्रवन कुमार ने किया निरीक्षण
नालंदा में सूर्यमंदिर छठ घाट का मंत्री ने किया निरीक्षण, तालाब के बीचोबीच फव्वारा की फुहार और रंगबिरंगी लाइट होगा आकर्षक का केंद्र।
इधर, बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग मंत्री श्रवण कुमार ने शनिवार को हिलसा शहर के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर छठ घाट का निरीक्षण किया। इस दौरान संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
मंत्री छठ घाट पर व्यवस्था को देख वे काफी प्रसन्न हुए। वहीं, मुख्य पार्षद धनंजय कुमार ने कहा कि लोक आस्था का चार दिवसीय चैती छठ महापर्व का आगाज नहाय खाय के साथ शनिवार से शुरू हो गया। छठ घाट की साफ-सफाई से लेकर लाइटिंग व श्रद्धालुओं को ठहरने की हर तरह की व्यवस्था कर दिया गया है। छठ घाट पर कपड़ा चेंजिंग रूम, पेयजल की सुविधा एवं तालाव परिषर में बैरिकेटिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। हर बार की तरह से इस बार छठ घाट पर अलग साज सज्जा किया गया है। तालाब के बीचोबीच मोटरयुक्त फव्वारा एवं जगह जगह पर बैलून के गुच्छे साथ में चौतरफा लगे पेड़ पौधों को रंगबिरंगी लाइटें लगाई गई है, जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना है।
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