वारिसलीगंज पीएचसी अपने संस्थागत प्रसव के निर्धारित लक्ष्य के काफी पिछड़ रहा है। अस्पताल के लिए निर्धारित 487 की जगह मात्र 120 से 150 तक पहुंच पा रहा है। ऐसा अस्पताल के कुछ कर्मियों क्षेत्र में संचालित अवैध नर्सिंग होम एवं सक्रिय दलालों के कारण हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले प्रसव को कमीशन के लोभ में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा निजी चिकित्सालयों तक पहुंचा देने के कारण हो रहा है। बताया जाता है कि वारिसलीगंज पीएचसी में मूल रूप से ग्रामीण क्षेत्र के गरीब परिवार के लोग अपना प्रसव करवाने पहुंचते हैं। जिन्हें बहला फुसलाकर निजी नर्सिंग होम में पहुंचा दिया जाता है। जबकि नगर के किसी नर्सिंग होम में कोई दक्ष महिला स्टाप नहीं है।
जिस कारण कभी कभार प्रसव पीड़िता और नवजात के जान पर भी खतरा उत्पन्न हो जाता है। इन अवैध क्लीनिकों में अप्रशिक्षित लोगों द्वारा प्रसव करवाया जाता है। जहां जल्दी प्रसव करवाने के चक्कर में दवा का ओभर डोज दिया जाता है। जिसका प्रसव पीड़िता की सेहत पर बुरा असर होता है। पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. आरती अर्चना ने बताया कि सरकार संस्थागत प्रसव करवाने पर काफी जोर दे रही है। इसके लिए मरीज को हर प्रकार की सुविधा पूर्ण रूप से निःशुल्क व सुरक्षित उपलब्ध करवा रखी है। और अगर कोई आपात स्थिति उत्पन्न होती है तो सदर अस्पताल रेफर किया जाता है। जहां तक पहुंचाने के लिए आवश्यक सुविधाओं से लैस एम्बुलेंस अस्पताल में उपलब्ध है। बताया कि सुरक्षित प्रसव बाद मातृत्व लाभ के तहत माताओं के बैंक खाते में सरकार द्वारा निर्धारित राशि भी भेजने का प्रावधान है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.