28 अक्टूबर से शुरू हुए छठ महापर्व का आज बेहद खास तीसरा दिन है। व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। पटना के गंगा घाटों पर श्रद्धालु सिर पर धम्मा और दउरा लेकर छठ व्रतियों के साथ गीत गाते हुए पहुंचे। राजधानी पटना में शहर के 85 गंगा घाट और 61 तालाबों पर 15 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचे। वहीं, जिले के 427 घाट और 179 तालाबों पर 25 से 30 लाख श्रद्धालु घाट पर पहुंचे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने बेटे के साथ सीएम आवास पर तो उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने छठ के अवसर पर दीघा घाट पहुंचकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। सीएम नीतीश ने अर्घ्य देते हुए बिहारवासियों की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। सीएम की भाभी और भतीजी ने इस साल छठ व्रत किया हैं।
इस दौरान सड़क के दोनों को सड़क को स्थानीय लोगों ने पानी से धो दिया। जगह-जगह पानी के स्टॉल लगाए हैं। सड़क से लेकर घाट तक छठी मैया की गीत बज रहे हैं। पटना पुलिस और दंडाधिकारी भी मुख्य चौक-चौराहों और घाटों पर तैनात है। पुलिस की एक टीम कंट्रोल रूम से सीसीटीवी के जरिए निगरानी कर रही है।
आज दीघा घाट, एलसीटी घाट के आसपास रहने वाली महिला व्रती पैदल ही परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नदी के तट पर पहुंचती दिखीं। कई परिवार चार पहिया वाहन से भी जाते दिखे। सड़क पर जाम न लगे इसके लिए पटना पुलिस ने पहले ट्रैफिक प्लान बना दिया था। पटना के 85 गंगा घाट और 61 तालाबों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं पहुंचे। वहीं बड़ी संख्या में लोगों ने घर की छतों पर छठ मनाया।
इसके बाद चौथे और आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा और अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाएगा। शनिवार की रात खरना का प्रसाद खाने के बाद से व्रती निर्जला उपवास कर रहे हैं।महापर्व में विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए 600 मजिस्ट्रेट, 5000 पुलिस बल तैनात किए गए। 800 जवानों के साथ 289 नाव, 289 नाविक और 324 गोताखोर तैनात हैं। 125 से अधिक सिविल डिफेंस के वोलंटियर्स की भी प्रतिनियुक्त की गई है।
घाटों के अलावा घर की छतों पर अर्घ्य
बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घर के आंगनों, बगीचों और छतों पर भी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पानी जमा किया है। इसी पानी में उतर कर व्रती फलों से भरा सूप उठाएंगे और सूर्य को अर्पित करेंगे। यह इस भावना के साथ है कि जिस सूर्य ने हमें अन्न दिया, हम सबसे पहले उसे श्रद्धा भाव के साथ अर्पित कर रहे हैं। पूरे अनुशासन के साथ। निर्जला की सात्विकता के साथ। इस मायने में यह प्रकृति पर्व है। समाज की हर जाति की समानता के साथ है। पर्व के जरिए सूर्य से सीधे जुड़ने की बात है। बीच में कोई माध्यम नहीं है।
पटना में गंगा घाटों पर भी उमड़ी भीड़
राजधानी के गंगा घाटों खासकर कलेक्ट्रेट घाट, दरभंगा हाउस काली घाट, रानी घाट, गांधी घाट, लॉ कॉलेज घाट, गाय घाट, पटना कॉलेज घाट, दीघा 95 नंबर घाट, पाटी पुल घाट, दीघा ब्रिज के पास के घाट समेत कई गंगा घाटों पर व्रतियों की सुविधा के लिए सभी व्यवस्था की गई है।
पटना के फुलवारी शरीफ स्थित प्रखंड परिसर शिव मंदिर घाट पर 20 से 25 मोहल्लों के लोगों के अलावा बिहार और बाहर के राज्यों से छठ व्रत करने के लिए महिला-पुरुष पहुंचने लगे हैं।
जानिए किस जिले में कहां दिया जाएगा अर्घ्य
मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी किनारे सीढ़ी घाट व आश्रम घाट महत्वपूर्ण घाटों में हैं। इन्हें मॉडल घाट के रूप मे तैयार किया गया है। दोनों घाट शहर के सिकंदरपुर में स्थित हैं। यहां हजारों की तादाद में व्रती पहुंचते हैं। इसके अलावा, पताही के तालाब में भी सैंकड़ों व्रती पहंचते हैं।
जमुई शहर में क्यूल नदी के किनारे बने त्रिपुरारी घाट, हनुमान घाट, बिहारी घाट और खैरमा घाटों पर भारी भीड़ होती है। मलयपुर के आंजन नदी किनारे के कदमा घाट भी मुख्य घाटों में महत्वपूर्ण है। इन घाटों पर 10 से 15 हजार की भीड़ जुटती है।
समस्तीपुर शहर में बूढ़ी गंडक नदी किनारे बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। यहां करीब 35 घाट महत्वपूर्ण हैं। इनमें पुरानी दुर्गा स्थान घाट, नीम गालीघाट, प्रसाद घाट, लचका घाट, जितवारपुर कोठी घाट पर करीब 50 हजार से अधिक लोगों की भीड़ जुटती है।
सरयु के तट पर बसे छपरा शहर में मांझी से सोनपुर तक कई घाटों पर हजारों श्रद्धालु छठ करते हैं। मुख्य तौर पर राम घाट (मांझी), श्रीनाथ बाबा घाट (सेमरिया), गौतम ऋषि तपोस्थली घाट (गोदना), धर्मनाथ धनी, सीढ़ी घाट (छपरा) और तिवारी घाट (चिरांद) प्रमुख हैं। सभी घाटों पर एक लाख के आसपास लोग इकट्ठा होते हैं।
शेखपुरा में अरघौती पोखर छठ घाट और रतोईया नदी छठ घाट के अलावा बरबीघा नगर के मालती पोखर छठ घाट पर व्रती सूर्य को अर्घ्य प्रदान करते हैं। तीनों जगह 30 से 50 हजार श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
जहानाबाद में संगम घाट, ठाकुरबाड़ी घाट, दक्षिणी सूर्य मंदिर, काको सूर्य मंदिर इत्यादि जगहों पर बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा के लिए आते हैं।
रोहतास के जिला मुख्यालय सासाराम, अनुमंडल मुख्यालय डेहरी एवं बिक्रमगंज में कई महत्वपूर्ण छठ घाट हैं। सासाराम में सोन नहर के किनारे कुराइच-लालगंज घाट, डेहरी में सोन नदी के तट पर तथा बिक्रमगंज में कांव नदी के तट पर सबसे महत्वपूर्ण छठ घाट है। यहां 50 हजार से अधिक लोग छठ करने आते हैं।
नालंदा के बिहारशरीफ में पंचाने नदी किनारे कोसुक, सोहसराय सूर्य तालाब और बाबा मनीराम अखाड़ा छठ घाटों पर एक लाख के करीब लोग छठ करने आते हैं। साथ में बड़गांव और औंगारी धाम भी बेहद प्रसिद्ध छठ घाट हैं। यहां जिले ही नहीं, राज्य और देश भर से लोग अर्घ्य देने पहुंचते हैं।
बेतिया शहर के बीच में स्थित सागर पोखरा और संत घाट पर करीब एक लाख छठ व्रती पहुंचते हैं।
गोपालगंज शहर में गंडक नदी से निकली छाड़ी नदी के किनारे बने हजियापुर मोड़, वीएम फील्ड, ब्लॉक नोनिया टोली समेत कई छठ घाटों पर करीब एक लाख लोगों की भीड़ उमड़ती है।
कटिहार शहर में कारी कोसी नदी के किनारे बने कोसी छठ घाट एवं बालू पोखर घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु छठ करते हैं। इसके अलावा बीएमपी पोखर पर बने घाट, बड़ी दुर्गा स्थान विजय नगर के विजय बाबू पोखर पर बने छठ घाट के चारों तरफ लगभग 5000 लोग छठ करेंगे।
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बिहार के सभी 38 जिलों में सूर्योदय-सूर्यास्त की टाइमिंग जानिए:3 से 15 सेकेंड का रहेगा अंतर, महापर्व छठ का आज तीसरा दिन
लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत शुक्रवार के दिन नहाए खाय से हो चुकी है। शनिवार को खरना के दिन तन-मन से शुद्ध होकर छठी मैया का प्रसाद तैयार किया जाता है। व्रती 36 घंटे का उपवास रखती हैं। तीसरे दिन यानी आज 30 अक्टूबर 2022 को शाम में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं, चौथे दिन 31 अक्टूबर 2022 को अगले सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
ऐसे में आज दैनिक भास्कर आपको बताएगा कि बिहार के सभी 38 अलग-अलग जिलों में सूर्यास्त और सूर्योदय की टाइमिंग क्या है। बिहार में 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 4:58 बजे से लेकर 5:17 बजे के बीच होगा। वहीं 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय सुबह 5:46 बजे से 6:02 बजे के बीच होगा। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
छठ महापर्व का इतिहास 700 साल पुराना:गुप्तकाल से प्रचलित है छठी मैया की पूजा; छठी मैया के रूप में स्कंद माता की होती पूजा
छठ व्रत हिंदुओं का अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। इस महापर्व पर भगवान भास्कर और छठी मैया की पूजा-अर्चना होती है। सूर्य की उपासना का यह सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। प्रत्येक मास की सप्तमी तिथि विशेषकर शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि सूर्य भगवान की तिथि मानी जाती है और इस दिन इनकी उपासना का विधान है। इसके साथ ही कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि सबसे पावन तिथि मानी जाती है। इसी कारण सूर्य भगवान की पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष में सप्तमी के दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की जाती है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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