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गया में धर्मांतरण जोरों पर!:भास्कर की पड़ताल में खुलासा- 2 साल से 6 गांवों में जारी है खेल; गया में कनवर्जन कराने वालों को सैलरी भी मिल रही, आरोपी भी कभी हिंदू थे

पटना2 वर्ष पहलेलेखक: शालिनी सिंह
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धर्म परिवर्तन की वजह से कुछ दिनों पहले ही चर्चा में आया गया जिले का बेलवादीह गांव। - Dainik Bhaskar
धर्म परिवर्तन की वजह से कुछ दिनों पहले ही चर्चा में आया गया जिले का बेलवादीह गांव।

बिहार के गया में हुए धर्मांतरण के पीछे क्या कोई रैकेट काम कर रहा है । भास्कर की पड़ताल में कुछ चौंकाने वाले मामले सामने आये हैं । इसके मुताबिक गया में पिछले दो साल में करीब आधा दर्जन गांवों में धर्मांतरण हुआ है । सबसे खास बात ये है कि जिन लोगों पर धर्मांतरण कराने के आरोप लग रह रहे हैं वो खुद भी कभी हिंदू थे। दरअसल, कुछ दिनों पहले ही गया शहर के नगर प्रखंड स्थित नैली पंचायत के बेलवादीह गांव में करीब 50 परिवार ने ईसाई धर्म अपना लिया। सभी महादलित समुदाय से आते हैं। इसके बाद गया में धर्मांतरण का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है।

दो साल में कई गांवों में हुआ है धर्मांतरण

बिहार के गया में धर्मांतरण का खेल पुराना है । करीब 6 साल पहले यहां के मानपुर प्रखंड के खंजाहापुर गांव के 500 लोगों ने हिंदू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म अपना लिया था । अब एक बार फिर गया धर्मांतरण को लेकर चर्चा में है । इस बार गया शहर के नैली प्रखंड के बेलवादीह टोला के लोगों ने अपना धर्म बदल ईसाई धर्म को अपना लिया है । इन दोनों मामलों के बीच भले ही 6 साल का अंतर हो लेकिन ऐसा नहीं कि गया में इस बीच धर्म परिवर्तन नही हुआ ।

पूर्व सांसद रामजी मांझी के मुताबिक गया में बीते 2 साल में करीब आधा दर्जन गांवों में धर्म परिवर्तन के मामले सामने आएं । टेकारी के केवड़ा, मुफ्फसिल के दोहारी , अतरी के टेकरा , बोधगया के अतिया और गया सदर के रामसागर टैंक इलाके में दर्जनों परिवारों ने धर्म परिवर्तन किया है । गया में डोभी से लेकर बाराचट्‌टी तक कई गांवों में दर्जनों परिवार ऐसे हैं जो धर्म बदल चुके हैं । अलग-अलग गांवों में अलग-अलग समय में हुए धर्मपरिवर्तन के मामलों के पीछे कई कारण बताए गए हैं। सबसे ज्यादा इसके पीछे अंधविश्वास दिखता है । इनमें से कुछ घटनाओं में धर्मपरिवर्तन के बाद लोग वापस हिंदू धर्म में लौट आए, लेकिन ज्यादातर मामलों में ऐसा नही हुआ ।

धर्मांतरण कराने के आरोपी खुद भी बदल चुके हैं धर्म , सैलरी पर करते हैं काम

दलितों को धर्म बदलने के लिए मानसिक रूप से तैयार करनेवाले लोग कई बार बाहर के होते हैं तो कई बार गांव के ही लोग । इनमें वो लोग शामिल होते हैं जो खुद भी धर्म परिवर्तन कर चुके हैं । जानकारी ये मिल रही है कि इनमें से ज्यादातर लोग को मासिक तौर पर आर्थिक मदद दी जाती है । विहिप के दक्षिण बिहार शाखा के पदाधिकारी महेश प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि ये सारा कुछ एक दिन में नहीं होता। असल में इसकी तैयारी धर्म परिवर्तन का रैकेट चलानेवाली संस्थाएं सालों से करते रहते हैं ।

सबसे पहले गांव के किसी एक व्यक्ति या परिवार का धर्म परिवर्तन होता है । उस परिवार की आर्थिक स्थिति में आए बदलाव को उदाहरण बनाकर फिर बाकी परिवारों को भी इसके लिए प्रेरित किया जाता है । कई बार धर्म परिवर्तन का मामला सालों तक सामने नहीं आता । गया के दुबहर पंचायत के बेलवादीह गांव में भी धर्म परिवर्तन काफी पहले हुआ है। मामला अब जाकर सामने आया है ।

भाजपा हो या कोई भी राजनैतिक पार्टी, सभी हैं चुप

धर्मांतरण के मुद्दें पर खूब बोलनेवाली भाजपा इस बार पूरी तरह से चुप है । 13 जुलाई को ही सामने आये इस मामले में अब तक भाजपा की तरफ से ना कोई नेता बेलवादीह गांव में गया है और ना ही किसी नेता ने अपना बयान जारी किया है । ये चुप्पी क्यों, ये सवाल पूछने पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल कहते हैं , घटना दु:खद है ।लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई की जानी चाहिए । दूसरी तरफ राजद के प्रवक्ता मृत्यंजन तिवारी इस मामले पर सवाल पूछने पर कहते हैं इसकी जांच होनी चाहिए ।

जाहिर है सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक इस मामले पर खुद से कुछ भी बोलने को तैयार नही । असल में दोनों दलों की अपनी -अपनी राजनीति है । भाजपा चुप है, क्योंकि इस मामले में पार्टी संगठन का तंत्र फेल साबित हुआ है । पूरे टोले ने धर्म बदल लिया लेकिन भाजपा के गया संगठन को इसकी भनक तक नही लगी । अब चुप्पी की चादर ओढ़ भाजपा, संघ और विहिप दलितों को धर्मवापसी में लगा है। दूसरी तरफ राजद इन मुद्दों को अपना मानती ही नहीं । राजद इन मामलों पर चर्चा छेड़ भाजपा के मुद्दों को बहस में नहीं लाना चाहती ।

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