नीतीश सरकार की शराबबंदी पर अब उसके अपने भी सवाल उठा रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने शनिवार को पटना में कहा है कि शराबबंदी कानून की समीक्षा होनी चाहिए। स्थितियां भयावह हो गई हैं। पूर्वी चंपारण में अवैध शराब बन रही है और उसको पुलिस का संरक्षण है।
संजय ने कहा है कि जहरीली शराब उन जगहों पर बन रही है, जहां पुलिस से शराब बनाने वालों की मिलीभगत नहीं है और छिपाकर बनाई जा रही है। उनकी मानें तो बाकी जगहों से जहरीली शराब के मामले सामने इसलिए नहीं आ रहे, क्योंकि वहां पुलिस के संरक्षण में एक नंबर की शराब मिल रही है।
कानून में कमियों को देखने की जरूरत पर दिया जोर
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने साफ तौर से कहा कि सरकार की तरफ से बहुत अच्छे उद्देश्य से लाए गए इस कानून में कहां कमियां रह गई हैं। इसे देखने की जरूरत है। जहरीली शराब से मौतें यूं तो उन राज्यों में भी होती हैं, जहां शराबबंदी नहीं है। 5 साल में हमारा कानून कहां तक पहुंचा है, इसकी समीक्षा होनी चाहिए।
जहरीली शराब से अब तक 41 मौतें
बिहार में शराबबंदी कानून 2016 से लागू है। इसके बावजूद 3 जिलों में बीते 4 दिनों में जहरीली शराब पीने से 41 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें शनिवार को समस्तीपुर से 4 मृतक भी शामिल हो गए हैं। वहीं, 6 लोगों की हालत गंभीर है। इनमें 3 की आंखों की रोशनी जा चुकी है।
मरने वालों में गोपालगंज से 20, बेतिया से 17 और समस्तीपुर से BSF और आर्मी के 1-1 जवान समेत 4 लोग शामिल हैं। अभी तक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आने के कारण प्रशासन इन्हें संदिग्ध मौत ही मान रहा है। परिजनों के अनुसार शराब पीने के कारण इनकी तबीयत बिगड़ी और मौत हुई है।
समीक्षा करेगी सरकार
इन मामलों के सामने आने के बाद शुक्रवार को ही CM नीतीश कुमार ने कहा था कि हम इसपर छठ बाद समीक्षा बैठक करेंगे। उन्होंने कहा कि जहरीली शराब पीने वाले मौत के लिए खुद जिम्मेदार हैं। गलत काम कीजिएगा तो यह नौबत आएगी ही। इधर, जदयू सांसद ललन सिंह ने आज कहा है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू रहेगा। गोपालगंज-बेतिया मामले की जांच हो रही है। लोगों को पकड़ा जाएगा और उन्हें सजा दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि हत्या के लिए कानून में फांसी की सजा है, लेकिन लोग हत्या करते हैं और उनको सजा होती है, फांसी होती है। वैसे ही शराबबंदी कानून को तोड़ने वालों को सजा दी जा रही है।
घटना के बाद लगातार हमलावर हैं तेजस्वी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी इन मामलों के सामने आने के बाद लगातार बिहार सरकार पर हमलावर हैं। उन्होंने ने तो इसे सरकार द्वारा आपूर्ति की गई जहरीली शराब से 50 से अधिक लोगों की संस्थागत हत्या तक करार दे दिया है। इस घटना पर हुई प्रशासनिक कार्रवाई पर उंगली उठाते हुए उन्होंने कहा है कि बिहार में मद्य निषेध और उत्पाद विभाग व पुलिस का कोई भी शीर्ष अधिकारी आज तक बर्खास्त नहीं हुआ है।
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