पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
केंद्र सरकार के बजट पर पूरे देश की निगाहें होती हैं। सेंसेक्स तक ऊपर-नीचे होते रहते हैं। राज्यों के बजट के मामले में ऐसा नहीं होता। महाराष्ट्र राज्य का बजट भी पेश हो, तो सेंसेक्स को कोई फर्क नहीं पड़ता, जबकि शेयर बाजार मुंबई में ही स्थित है। आज बिहार का बजट भी पेश हुआ है। इसका आम आदमी पर क्या असर होगा, कुछ खास नहीं। ऐसा कहना है बिहार इकोनॉमिक स्टडी के निदेशक और अर्थशास्त्री डॉ. प्यारेलाल का। सोमवार को बिहार का बजट पेश होने का बाद उन्होंने भास्कर से अपने विचार साझा किए।
डॉ. प्यारेलाल ने कहा कि राज्यों का बजट सिर्फ उनकी आय और खर्च का हिसाब-किताब होता है। इसमें राज्य को केंद्र सरकार से टैक्स की कितनी हिस्सेदारी मिली, राज्य पर कितना कर्ज है, कितना देना है और कितना आना है, यह शामिल होता है। इसी आधार पर राज्य सरकारें अपनी विभिन्न योजनाओं के लिए विभागों को रुपए देती हैं। किसी राज्य का बजट पेश होने के बाद वहां का रियल एस्टेट का कॉस्ट प्रभावित हो सकता है। बिजली की कीमतों पर असर पड़ सकता है। ट्रांसपोर्ट का किराया घट-बढ़ सकता है।
महिलाओं के लिए हो अलग प्रावधान: डॉ. सुनंदा
सोशल एक्टिविस्ट डॉ. सुनंदा केसरी ने भी बजट पेश होने के बाद भास्कर से बात की। कहा कि राज्यों के बजट में महिलाओं के लिए अलग से प्रावधान होना चाहिए। परीक्षा पास करने के बाद लड़कियों को सिर्फ पैसा देने से काम नहीं चलेगा। यह भी देखना पड़ेगा कि उस पैसे का इस्तेमाल कहां और कैसे हो रहा है। बिहार सरकार इंटर पास करने पर लड़कियों को 25 हजार और स्नातक पास करने पर 50 हजार रुपए दे रही है। राज्य सरकार को बजट में इस बात का प्रावधान करना चाहिए कि लड़कियों और महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, क्योंकि एक महिला शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है।
इनका क्या है कहना
डॉ. केसरी कहती हैं कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए स्कूलों में उन्हें खाना दिया जाता है। लेकिन, यह नहीं देखा जाता है कि बच्चे आते हैं और खाना खाकर चले जाते हैं। इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि बच्चे आएं तो स्कूल खत्म होने तक पढ़ाई करें। शिक्षक भी ऐसे हों जो उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करें। डॉ. सुनंदा ने यह भी कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी बजट में प्रावधान होना चाहिए। एक सेहतमंद महिला ही स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। महिलाओं को रोजगार में छूट देने की बात हो रही है। लेकिन, इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाता कि रोजगार के लिए महिलाओं को जिस राशि का प्रावधान किया गया है उसे प्राप्त करने में उनके पसीने छूट जाते हैं। कई महिलाएं तो थक कर पीछे हट जाती हैं।
रोजगार और उद्योग के प्रति गंभीर हो सरकार: सुनील कुमार सिन्हा
चाणक्या स्कूल ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा ने भास्कर से कहा कि बिहार में उद्योग लगाने को लेकर काफी बात होती है। राज्य में उद्योग लगाने पर उद्यमियों को इन्सेंटिव देने का प्रावधान है। इस इन्सेंटिव के प्रावधान पर चर्चा होनी चाहिए। सरकार को भी इस पूरी प्रक्रिया के बारे में सोचने की जरूरत है। सरकार को रोजगार और उद्योग के प्रति गंभीर होना चाहिए।
पॉजिटिव- किसी भी लक्ष्य को अपने परिश्रम द्वारा हासिल करने में सक्षम रहेंगे। तथा ऊर्जा और आत्मविश्वास से परिपूर्ण दिन व्यतीत होगा। किसी शुभचिंतक का आशीर्वाद तथा शुभकामनाएं आपके लिए वरदान साबित होंगी। ...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.