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कोरोना के बढ़ते खतरे को 'भांप' कर 7 दिनों की सख्ती करने वाला बिहार सरकार का आदेश 72 घंटे भी नहीं टिक सका। गुरुवार 26 नवंबर की शाम बिहार के गृह सचिव आमिर सुबहानी और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने नई पाबंदियों की जानकारी दी थी। राज्य भर में शादी समारोहों के दौरान सड़क पर बैंड-बाजे के साथ बारात निकालने पर रोक लगा दी थी। वैवाहिक कार्यक्रम में स्टाफ समेत 100 लोगों की संख्या सीमित कर दी थी। सरकार को अंदेशा था कि इससे संक्रमण का खतरा बढ़ेगा।
इस आदेश के जारी होने के 24 घंटे के अंदर ही पटना में सड़क पर बैंड-बाजा के साथ बारात निकालने का दृश्य भी दिखा और 48 घंटे के अंदर बैंड पार्टी वाले खुद सड़क पर उतर आये। नतीजतन रविवार की दोपहर बाद ही गृह विभाग ने एक और आदेश निकाल न सिर्फ सड़क पर बैंड-बाजे की अनुमति दी बल्कि वैवाहिक कार्यक्रमों में शामिल होने वाले अतिथियों की संख्या भी स्टाफ सहित 150 तक कर दिया।
पटना में बैंड वालों ने किया था प्रदर्शन
बिहार सरकार की गाइडलाइन से बैंड वालों को सबसे बड़ा झटका लगा था। शनिवार को पटना के सुलतानगंज इलाके में बैंड वालों ने सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था। उनका कहना था कि पिछले 9 महीने से बैंड बाजा और लाइट वालों का धंधा पूरी तरह से चौपट हो चुका है। रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है। सरकार ने किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की। अब 25 नवंबर से लेकर 12 दिसंबर तक शादी के लिए शुभ मुहूर्त का समय है। ऐसे में सरकार को अपने फैसले पर फिर से विचार कर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैंड बाजा बजाने की अनुमति देनी चाहिए।
पुराने आदेश में क्या-क्या था
बिहार में संपन्न हुए चुनाव के दौरान प्रचार से लेकर मतगणना तक में भारी भीड़ पर शांत रही सरकार कोरोना को लेकर एक्टिव मोड में आ गयी है। इसी क्रम में वाहन चालकों के लिए मास्क और सामाजिक दूरी को अनिवार्य करने के बाद गुरुवार को नए निर्देश भी जारी किये गए थे।
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