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HIV संक्रमितों में कालाजार का खतरा बढ़ रहा है। बिहार में ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। RMRIMS, पटना में इसके लिए जांच के साथ इलाज व शोध की व्यवस्था की गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ RMRIMS में कोरोना काल के दौरान इम्यूनिटी को लेकर काम किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2020 के अंत तक 1500 कालाजार के मामले सामने आए हैं। इस संक्रमण से बचाने को लेकर विशेष रूप से जांच को लेकर अभियान चलाया जाता है।
राज्य में इसके लिए जांच के 88 प्वाइंट बनाए गए हैं जहां इसकी आसानी से जांच हो सकती है। हालांकि, इलाज की व्यवस्था RMRIMS में ही की गई है। WHO के कालाजार स्टेट प्रभारी डॉ राजेश पांडेय का कहना है कि दवाएं कई हैं। इसमें WHO की तरफ से दवाएं दी जाती हैं, जिससे इलाज होता है। इस दवा से 2 से 3 घंटे में मरीज ठीक महसूस करने लगता है। दो से तीन दिन में वह पूरी तरह से स्वस्थ भी हो जाता है।
HIV के साथ संक्रमण हो जाता है घातक
डॉ राजेश पांडेय के अनुसार, HIV के साथ कालाजार काफी खतरनाक हो जाता है। दोनों संक्रमण में इम्यूनिटी घटती है, जब दोनों एक साथ हो जाए तो स्थिति काफी खतरनाक हो जाती है। लेकिन, इसमें समय से इलाज हो तो इलाज काफी आसान हो जाता है।
कालाजार की पुष्टि पर कराई जाती है HIV जांच
कालाजार का संक्रमण ऐसे लोगों को अधिक प्रभावित करता है जिनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इस कारण से ही कालाजार के संक्रमण की पुष्टि होते ही मरीजों में HIV की जांच कराई जाती है।
RMRIMS में चल रहा है 6 मरीजों का इलाज
RMRIMS में ऐसे 6 मरीज भर्ती हैं जिन्हें HIV के साथ कालाजार का संक्रमण है। RMRIMS के निदेशक डॉ कृष्णा पांडेय का कहना है कि दोनों संक्रमण एक साथ होने पर मरीजों में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में लोगों को भर्ती किया जाता है। इनका इलाज करने के साथ इनपर अध्ययन भी किया जाता है। RMRIMS में अभी ऐसे 6 मरीज हैं जिनका इलाज चल रहा है। इनमें HIV के साथ कालाजार का संक्रमण है।
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