बिहार विधान परिषद् की हाल में खाली हुई दो सीटों के लिए 28 जनवरी को उपचुनाव होना है। BJP ने इनमें से एक सीट पर मंत्री मुकेश सहनी का नाम तय कर रखा था। लेकिन सहनी ने 41 महीने के बचे कार्यकाल वाली सीट पर विधान परिषद् जाने से इंकार कर दिया है। उन्हें 72 महीने यानि 6 साल कार्यकाल वाली राज्यपाल कोटे की सीट चाहिए। यह सीट सुशील मोदी के राज्यसभा जाने की वजह से खाली हुई है।
दूसरी सीट पर भी JDU की दिलचस्पी नहीं
दूसरी सीट, जिस पर मंत्री अशोक चौधरी के विधान परिषद् जाने की चर्चा थी, उसको लेकर भी JDU ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इसका मतलब है कि इस सीट पर भी अब कोई भाजपाई ही परिषद् जाएगा। संभावना इस बात की है कि विनोद नारायण झा की सीट पर उन्हीं के इलाके से, उन्हीं के समाज के किसी भाजपाई को विधान परिषद् भेजा जाएगा। इस सीट का कार्यकाल 18 महीने बचा हुआ है।
बिहार भाजपा के नेता पहुंचे दिल्ली
भाजपा नेताओं के दूसरे सदन में पहुंचने से खाली हुई इन सीटों पर भाजपा की ही दावेदारी है। लिहाजा इन सीटों को लेकर भाजपा के अंदर लगातार मंथन हो रहा है। इसी सिलसिले में बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और संगठन मंत्री नागेन्द्र नाथ त्रिपाठी दिल्ली पहुंच गए हैं। दिल्ली में इन दोनों नेताओं के साथ आलाकमान की बैठक होनी है। बैठक में इन दोनों सीटों पर उम्मीदवार चयन के फैसले के साथ ही, राज्यपाल कोटे की सीटों पर भी उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा होगी।
JDU-BJP के नेताओं का लंबा हो रहा इंतजार
बिहार विधान परिषद् पहुंचने के लिए JDU-BJP के नेताओं का इंतजार लंबा होता जा रहा है। खरमास बीत चुका है, लेकिन दोनों ही पार्टियों में परिषद् की राज्यपाल कोटे की सीटों को लेकर चुप्पी है। सुशील कुमार मोदी के राज्यसभा जाने और विनोद नारायण झा के विधायक बनने के बाद खाली हुई इन दो सीटों पर 28 जनवरी को चुनाव होने हैं। इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया 11 से ही शुरू हो चुकी है। 18 जनवरी नामांकन की आखिरी तारीख है।
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