बिहार में विपक्षी पार्टियां केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून को हटाने की मांग के साथ ही नीतीश सरकार की कृषि नीति की भी आलोचना करती रही हैं। कई बार इससे जुड़े सवाल विधान मंडल में भी उठ चुके हैं। अब जब PM नरेन्द्र मोदी ने कृषि कानून को वापस लेने बात कह दी है तब RJD और माले ने बिहार में किसानों से जुड़े मुद्दे तेजी से उठाना शुरू कर दिया है। इसको लेकर आंदोलन की रणनीति भी बन रही है।
माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है, 'बिहार में मंडियों की बहाली और मक्का, दलहन सहित तमाम फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू करने की मांग हम हमेशा करते रहे हैं। बिहार सरकार ने धान, गेहूं की खरीद में छोटे किसानों के सामने अनेक तरह की दिक्कतें खड़ी कर रखी हैं और बिहार सरकार ने इन मुद्दों पर अब तक कोई संतोषजनक कदम नहीं उठाया है, इसलिए इन मुद्दों पर आंदोलन किया जाएगा।'
गेहूं-चावल छोड़ किसी पर समर्थन मूल्य दिखता ही नहीं
RJD के वरिष्ठ नेता सुनील कुमार सिंह कहते हैं, 'भारत में 23 अनाजों पर समर्थन मूल्य तय किया गया है, लेकिन बिहार में गेहूं और चावल को छोड़ किसी में यह नहीं दिखता है। राज्य में जब मंडी है ही नहीं तो किसान अपने उत्पाद को कहीं भी बेचने को मजबूर हो जा रहे हैं। बिचौलिए के हाथों किसानों को अनाज बेचना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री खुद मोकामा टाल क्षेत्र से आते हैं, लेकिन उन्हें इसकी परवाह नहीं है कि उनका दलहन कौन खरीदेगा।'
नीतीश सरकार ने APMC को खत्म कर दिया, अब किसान लाचार हैं- राजद
RJD किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुबोध यादव कहते हैं, '2005 में APMC (एग्रीकल्चर प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी) को नीतीश सरकार ने खत्म कर दिया। इससे पहले किसान बाजार समिति में अनाज बेच पाते थे, लेकिन इसके बाद किसान औने-पौने भाव पर अनाज बेचने को मजबूर हैं। अनाज का जो MSP (मिनिमम सपोर्टिंग प्राइस) सरकार प्रति वर्ष तय करती है। उस मूल्य पर खरीद ही नहीं होती है। इस साल धान की कीमत 1940 रुपए प्रति क्विंटल तय है, लेकिन पैक्स में धान खरीद पर कई तरह के व्यवधान लगाए जाते हैं।'
चखिया और मोतिहारी में चीनी मिल की जमीन बेची गई
किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ने कहा, 'किसान बिचौलिए द्वारा 1200 रुपए प्रति क्विंटल धान बेचने को मजबूर हैं। इसके लिए राज्य में चरणबद्ध आंदोलन जिला से प्रखंड तक चलाया जाएगा। सरकार तय करे कि MSP दर पर कोई बिचौलिया भी खरीदे तो कार्रवाई हो। हर प्रखंड में सरकार अनाज क्रय केन्द्र खोले, जिसमें किसान किसी भी समय किसान अनाज बेच कर नकद पैसे प्राप्त कर सकें। बिहार में एक भी चीनी मिल चालू नहीं हुआ। सीतामढ़ी में रीगा चीनी मिल और मोतिहारी में चीनी मिल से जुड़े लोगों का करोड़ों रुपए बकाया है। चखिया और मोतिहारी में चीनी मिल की जमीन बेची गई।'
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