लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अंदर खींचतान के बीच पशुपति पारस और चिराग पासवान गुट के बीच जुबानी जंग जारी है। गुरुवार को पारस गुट के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा- 'चिराग पासवान पागल हैं। वे अपना पॉलिटिकल बैलेंस खो चुके हैं। उन्हें किसी पॉलिटिकल डॉक्टर से इलाज कराने की जरूरत है।'
श्रवण ने आगे कहा- 'जब लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सांसद पशुपति कुमार पारस को लोजपा के ससंदीय दल के नेता की मान्यता दे दी है तो बार-बार चिराग उसे चैलेंज कर रहे हैं। लोकसभा अध्यक्ष को दो बार लेटर लिख चुके हैं। जबकि, लोकसभा अध्यक्ष उन्हें जवाब दे चुके हैं कि यह फैसला संविधान और नियमों के अनुसार लिया गया है।
इसके बाद भी वो दिल्ली हाईकोर्ट चले गए। उनकी अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। वहां उनकी कोई दलील नहीं चली। साथ ही जुर्माना लगाने की बात भी हाईकोर्ट ने कह दी। अब वो डबल बेंच में जाएं या भगवान की कोर्ट में जाएं, सारे कोर्ट का फैसला पशुपति कुमार पारस के पक्ष में आएगा। जनता के कोर्ट का फैसला भी पशुपति कुमार पारस के पक्ष में है।'
अलग जाकर फैसला लिया तो दल-बदल कानून लागू होगा
पारस गुट के प्रवक्ता बोले कि जहां तक बात चुनाव आयोग की है तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने और संसदीय दल का नेता बनने की सारी बात लिखित तौर पर दी जा चुकी है। यह फैसला LJP के सभी सांसदों की तरफ से लिया गया है। चिराग पासवान अगर अलग जाकर फैसला लेंगे तो उनके ऊपर दल-बदल कानून लागू होगा।
प्रवक्ता बोले- LJP के ही सांसद हैं चिराग
श्रवण अग्रवाल ने कहा कि चिराग कहां अलग हैं? वो LJP के ही सांसद हैं। पशुपति कुमार पारस या लोकसभा में पार्टी के सचेतक अगर कोई व्हिप जारी करेंगे तो वो चिराग पासवान पर भी लागू होगा। अगर वो उसके खिलाफ जाते हैं तो उनके ऊपर दल-बदल कानून या उसके उल्लंघन का मामला बनेगा। ये बात चिराग को कौन समझाएगा। मीडिया में कुछ भी बोल दें वो, उसे मीडिया छाप दे। इससे क्या होता है? वो पशुपति कुमार पारस या बाकी के सांसदों को पार्टी का नाम, सिंबल या चिह्न के इस्तेमाल करने से भी नहीं रोक पाएंगे। पशुपति कुमार पारस की अगुवाई में LJP को और भी मजबूत की जा रही है। सभी राज्यों में अब नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाएंगे। इसकी कवायद तेज कर दी गई है।
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